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    सपा के PDA की काट के लिए अब भाजपा का भी 'पीडीए', मगर इसमें 'ए' का मतलब अल्पसंख्यक नहीं

    Updated: Fri, 27 Dec 2024 09:12 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) के मुकाबले सत्ताधारी भाजपा ने अपना पीडीए (पिछड़ा दलित आधी आबादी) तैयार किया है। भाजपा का उद्देश्य निचले स्तर पर पिछड़े दलित और महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देना है। पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मंडल और जिलाध्यक्षों में जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए नई टीम बना रही है जिसमें अति पिछड़ी जातियों और महिलाओं को प्रमुखता दी जाएगी।

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    सीएम योगी और अखिलेश यादव। जागरण ग्राफिक्स

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के ''''पीडीए'''' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट के लिए अब सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने भी ''''पीडीए'''' बनाया है। भाजपा के ''''पीडीए'''' में ''''ए'''' का मतलब अल्पसंख्यक के बजाय आधी आबादी रहेगा। यानी भाजपा का ''''पीडीए'''' पिछड़ा, दलित व आधी आबादी है।

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    पार्टी संगठन में निचले स्तर पर मंडल अध्यक्ष व जिलाध्यक्षों में ''''पीडीए'''' का खास ख्याल रखेगी। ''''पीडीए'''' का गुलदस्ता सजाने के लिए पार्टी ने इस बार जिलों में इनकी घोषणा करने के बजाय मंडल अध्यक्षों का पैनल प्रदेश स्तर पर मंगाया है। आधी से अधिक सीटें इस बार ''''पीडीए'''' को देने की तैयारी है।

    सपा का पीडीए फॉर्मूला

    प्रदेश में पिछड़ाें व दलितों की बड़ी आबादी है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में सपा के ''''पीडीए'''' ने भाजपा का बड़ा नुकसान पहुंचाया था। भाजपा को 80 लोकसभा सीटों में से मात्र 33 सीटें ही मिल सकी थीं। पिछड़ों व दलितों की बड़ी संख्या को देखते हुए भाजपा भी अब मंडल व जिलाध्यक्षों की नई टीम बनाने में ''''पीडीए'''' का ख्याल रख रही है। चुनाव कार्यक्रम के तहत 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा होनी थी किंतु नई टीम में जातीय समीकरण बिठाने के कारण इसमें समय लग रहा है। पार्टी सभी को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश में लगी हुई है।

    सपा के पीडीए के टक्कर देने की तैयारी

    भाजपा के प्रदेश में 1918 मंडल हैं। पार्टी की कोशिश है कि वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में निचले स्तर पर मजबूत टीम तैयार हो जाए। यह टीम ऐसी हो जो विपक्षी दल सपा के ''''पीडीए'''' को टक्कर दे सके। पिछड़ी जातियों में भी खासकर अति पिछड़ी जातियों को भी प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। चूंकि केंद्र सरकार नारी शक्ति अधिनियम पास करा चुकी है ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि निचले स्तर पर संगठन में आधी आबादी को अधिक से अधिक पद दिए जाएं। मंडल अध्यक्षों की घोषणा के बाद जिलाध्यक्षों के चुनाव होंगे।

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