टीबी के मरीजों को मिलेगी जीवन की खुराक, नई दवा जल्द
प्रो. आलोक ने बताया कि भारत में हर साल 80 से 90 हजार मामले एमडीआर के आते हैं जिसमें इलाज काफी कठिन होता है। ...और पढ़ें

लखनऊ (कुमार संजय)। टीबी के इलाज के लिए नई दवा अब जल्दी भारत में उपलब्ध होगी। यह दवा तीन साल पहले तैयार हो गई थी। क्लीनिकल ट्रायल सहित तमाम सुरक्षा मानकों पर खरी उतरने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों से इसे राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण प्रोग्राम में शामिल करने को कहा है।
संजय गांधी पीजीआइ पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ कहते हैं कि बेडाक्विलिन और डेला मेनिड नई दवा है जो एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) के मामलों में काफी कारगर साबित हो रही है। तमाम शोध अध्ययन इस दवा को लेकर हो चुके हैं जिसमें 50 मिली ग्राम दिन में दो बार रूटीन दवा के साथ देने पर बलगम में बैक्टीरिया की कमी काफी हद तक देखने को मिली है।
अभी यह दवा भारत में आम मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं है। क्लीनिकल ट्रायल देश में कुछ सेंटर पर मरीजों में हुआ है जिसके परिणाम इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में आ चुके हैं। अब भारत सरकार ने भी इस दवा को भारत में उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी है जिससे काफी राहत मिलेगी।
प्रो. आलोक ने बताया कि भारत में हर साल 80 से 90 हजार मामले एमडीआर के आते हैं जिसमें इलाज काफी कठिन होता है। इस दवा को रूटीन दवा एथेमब्यूटाल, आइसोनिआजिड, पायरा जिनामाइड , रिफाम्पसीन के साथ दी जाती है। देखा गया है कि दो महीने इस दवा के डेलामेनिड देने से बलगम में बैक्टीरिया की कमी या खात्मा 44 फीसदी तक मिला। छह महीने दवा देने पर मौत की दर भी कम हुई है।
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कई देशों में हो रहा है नियमित इस्तेमाल: टीबी की नई दवा बेडाक्विलिन और डेलामेनिड आ गई है। कई मानकों पर परीक्षण के बाद इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। परीक्षण के दौरान दोनों ही दवाएं बेहद कारगर पाई गईं। हालांकि, बेडाक्विलिन का इस्तेमाल 70 देशों ने किया, लेकिन इसका नियमित इस्तेमाल महज छह देश ही करते हैं।
शरीर में सोता रहता है बैक्टीरिया: दुनियाभर में करीब एक-तिहाई लोगों में टीबी सुप्तावस्था में है। यानी ये लोग टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित हो चुके हैं। ये दूसरों तक इसे फैला नहीं सकते हैं।
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