UP News: गन्ने की नई किस्मों से बढ़ेगा चीनी का उत्पादन, किसानों को मिलेगा इसका बड़ा लाभ
UP में गन्ने की सीओ-0238 किस्म में रेड राट बीमारी बढ़ने से चीनी उत्पादन में कमी आ रही है। विशेषज्ञों ने किसानों को गन्ने की नई किस्मों की खेती करने की सलाह दी है। चीनी उद्योग को अनुसंधान और विकास में निवेश करने की आवश्यकता है। सरकार चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है ताकि गन्ने और चीनी का उत्पादन बढ़ाया जा सके।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। चीनी उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ने की नई किस्मों की खेती जरूरी है। उत्तर प्रदेश में 87 प्रतिशत गन्ना किसान सीओ-0238 किस्म का गन्ना पैदा कर रहे हैं। गन्ने की इस किस्म में बढ़ रही रेड राट (लाल सड़न) बीमारी ने चीनी उद्योग की चिंता बढ़ा दी है।
इस बीमारी के चलते उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन में कमी आ रही है, जिसका प्रभाव चीनी उत्पादन और मिट्टी की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने चीनी उद्योग व किसानों को गन्ने की सीओ-0238 किस्म की बजाय अन्य किस्मों को लगाने का सुझाव दिया है।
उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) व ग्रीनटेक कंसल्टेंट की तरफ से बुधवार को लखनऊ के होटल आरनेट में चीनी उद्योग की चुनौतियों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के सलाहकार व कृषि वैज्ञानिक डा.सुशील सोलोमन ने कहा कि चीनी मिलों के संचालकों को किसानों को गन्ने की नई किस्मों की खेती के लिए जागरूक करना होगा।
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खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती में रेट राट बीमारी ज्यादा फैल रही है।चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने कहा कि चीनी उद्योग को गन्ना व चीनी उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए नई मशीनों व आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करना होगा।
गन्ने की दूसरी किस्म से चीनी का उत्पाद होगा अधिक। जागरण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सरकार चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान व विकास में हर प्रकार से मदद करने के लिए तैयार है। चीनी उद्योग को एक अनुसंधान व विकास केंद्र की भी स्थापना करनी चाहिए।
ग्रीन टेक कंसल्टेंट के एमडी, प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा कि अनिश्चित गन्ना और चीनी उत्पादन के कारण चीनी उद्योग के सामने कई चुनौतियां हैं। चीनी का उत्पादन वैश्विक मानकों के अनुसार किया जाना चाहिए।
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यूपीएसएमए के अध्यक्ष समीर सिन्हा ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में खाद्य पदार्थों की कीमतें कई गुणा बढ़ी हैं, लेकिन चीनी का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। चीनी उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए चीनी का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाना चाहिए। कान्फ्रेंस में यूपीएसएमए के महासचिव दीपक गुप्तारा, देश के विभिन्न राज्यों के चीनी मिल उद्योग के प्रतिनिधियों के अलावा थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका व नेपाल के वैज्ञानिकों ने भी अपने विचार रखे।
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