Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'नव्य अयोध्या' बनी वैश्विक पर्यटन का सिरमौर, दो वर्षों में बदली करोड़ों युवाओं की तकदीर

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 06:40 PM (IST)

    अयोध्या अब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आर्थिक आत्मनिर्भरता का वैश्विक केंद्र बन गई है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दो साल बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यना ...और पढ़ें

    Hero Image

    डिजिटल टीम, लखनऊ। अयोध्या अब केवल एक पौराणिक नगरी नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आर्थिक आत्मनिर्भरता का वैश्विक केंद्र बन चुकी है। श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दो सफल वर्ष पूरे होने पर अयोध्या ने 'विरासत और विकास' की एक ऐसी महागाथा लिखी है, जिसने दुनिया को चकित कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन से अयोध्या आज एक 'वर्ल्ड क्लास सिटी' के रूप में उभरी है, जहाँ भक्ति की शक्ति अब प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयां दे रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पर्यटन का नया कीर्तिमान: 23 करोड़ पर्यटकों ने टेका मत्था

    प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पर्यटकों की आवक ने सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं:

    • ऐतिहासिक फुटफॉल: वर्ष 2025 में केवल छह महीनों (जनवरी-जून) के भीतर 23 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने रामनगरी के दर्शन किए।

    • इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश: लगभग 85 हजार करोड़ रुपये की मेगा परियोजनाओं से अयोध्या को एक स्मार्ट और इंटरनेशनल सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है।

    • कनेक्टिविटी: महर्षि वाल्मिकी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और आधुनिक रेलवे स्टेशन ने अयोध्या को सीधे वैश्विक मानचित्र से जोड़ दिया है।

    'आस्था से आय' का मॉडल: होम-स्टे और स्थानीय रोजगार

    योगी सरकार ने धार्मिक आस्था को स्थानीय रोजगार से जोड़कर 'अयोध्या मॉडल' पेश किया है:

    • होम-स्टे क्रांति: अयोध्या जिले में अब तक 1136 से अधिक होम-स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। मंडल के 19 गांवों को विशेष रूप से इस कार्य के लिए चुना गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।

    • स्थानीय आय में वृद्धि: अयोध्या के छोटे दुकानदारों की आय में 5 से 8 गुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जो दुकानदार पहले 1,000 रुपये कमाते थे, वे अब प्रतिदिन 5,000 से 8,000 रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।

    युवाओं के लिए अवसरों का द्वार: ₹40,000 तक का औसत वेतन

    अयोध्या अब पलायन रोकने वाली नगरी बन गई है। यहाँ के युवाओं को अब अपने ही घर में सम्मानजनक रोजगार मिल रहा है:

    • सेक्टर-वार अवसर: टूरिज्म, एविएशन, ट्रांसपोर्ट, और इवेंट मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में रोजगार की बाढ़ आ गई है।

    • निजी क्षेत्र का रुझान: मल्टीनेशनल कंपनियों और होटलों में काम करने वाले स्थानीय युवाओं को औसतन 40,000 रुपये मासिक वेतन प्राप्त हो रहा है।

    • हस्तशिल्प: स्थानीय हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के रूप में एक बड़ा बाजार मिला है।

    इन्फ्रास्ट्रक्चर जो बना मिसाल

    अयोध्या का कायाकल्प केवल मंदिर तक सीमित नहीं है। रामपथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ जैसे चौड़े गलियारों ने शहर के स्वरूप को बदल दिया है। यहाँ का विकास 'सस्टेनेबल' है, जहाँ आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ त्रेतायुगीन वैभव को भी सहेज कर रखा गया है।