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    बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सुभासपा की नई मांग, NDA से इन दो अहम पदों की कर दी अपील

    बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन कर रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने एक और मांग रखी है। पार्टी ने बिहार उपचुनाव में जिन दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों को वापस लिया था उनके बदले में आयोग में दो पदों की मांग की है। साथ ही सुभासपा ने 110 पिछड़ा बहुल सीटों के जातिगत आंकड़े भी जुटाए हैं और इन सीटों पर 29 सीटें मांगेगी।

    By Sakshi Gupta Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sun, 09 Mar 2025 08:06 PM (IST)
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    आयोग में दो पद लेकर एनडीए से गठबंधन की तैयारी में सुभासपा। (तस्वीर जागरण)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। एनडीए के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने एक और मांग कर दी है। बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर अपने प्रत्याशी को एनडीए के समर्थन के कारण सुभासपा ने अंतिम समय पर चुनाव नहीं लड़ाया था, उन दो सीटों के बदले पार्टी ने वहां आयोग में दो पद देने की मांग कर दी है।

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    साथ ही सुभासपा ने उन 110 सीटों के जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए हैं, जहां पिछड़ों विशेषकर राजभर, रजवार, राजवंशी और राय की संख्या अधिक है। पार्टी इस आंकड़े के आधार पर बिहार में एनडीए से 29 सीटें मांगेगी।

    सुभासपा ने पिछले साल हुए बिहार विधानसभा उपचुनाव की रामगढ़ और तरारी सीट पर अपने प्रत्याशी तय कर दिए थे। हालांकि एनडीए में यह सीट भाजपा के हिस्से चली गई थी। भाजपा के आग्रह पर सुभासपा ने अपने दोनों प्रत्याशियों को चुनाव नहीं लड़ाया था।

    पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि बिहार उपचुनाव की दो सीटों से अपने प्रत्याशी के नाम वापस लेने के बदले आयोग में दो पद समायोजित करने को लेकर एनडीए के साथ सहमति बनी थी। हमने आयोग में दो पदों पर सुभासपा के कार्यकर्ताओं को मनाेनीत करने की मांग की है। साथ ही बिहार की पिछड़ा बहुल 110 सीटों के आंकड़े के आधार पर हम अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।

    इसे भी पढ़ें- Bihar: विधानसभा चुनाव से पहले BJP-RJD के सामने खड़ी हुई एक नई समस्या! अगर ऐसा हुआ तो तेजस्वी कैसे बनेंगे CM?

    विधानसभा चुनाव से पहले BJP-RJD के सामने खड़ी हुई एक नई समस्या

    बिहार के सभी बड़े राजनीतिक दल चुनावी उपलब्धि के हिसाब से अपने छोटे भाइयों की बड़ी मांग से परेशान हैं।

    अगर छोटे की मांग मान ली गई तो अपनी हैसियत कमजोर होगी। मांग नहीं मानी तो छोटा भाई बिदक कर विरोधी खेमे में घुस जाएगा। यह परेशानी एनडीए और महागठबंधन में एक जैसी है। खबर में चर्चा होगी कि किस तरह दोनों गठबंधन के छोटे फरीक बड़े दल पर विधानसभा चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी के लिए दबाव बना रहे हैं।

    पिछली बार भाकपा माले को 19, भाकपा को छह और माकपा को चार सीटें मिली थीं। भाकपा माले 19 पर लड़ कर 12 सीटें जीती थी। बेहतर स्ट्राइक रेट के नाम पर इस बार उसकी मांग अधिक सीटों की है।