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    मायावती और मुलायम ने नोटों पर पाबंदी को आर्थिक आपातकाल बताया

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Fri, 11 Nov 2016 10:30 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी प्रमुखों ने एक हजार व 500 के नोट बंद करने को अघोषित आर्थिकआपातकाल करार दिया है।

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    लखनऊ (जेएनएन))। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भले आमने-सामने दिखती हों परंतु 1000-500 के नोट बंद किए जाने के विरोध में दोनों के सुर एक हैं।आज बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोट बंदी को अघोषित आर्थिक इमरजेंसी करार दिया और इसे पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाला फैसला बताया। उधर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आपातकाल जैसे हालात पैदा कर देने का आरोप लगाया। मुलायम ने इस नोट बैन को स्थगित करने और महिलाओं को पांच लाख तक जमा कराने की सहूलियत देने की मांग भी की।

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    धन्नासेठों को लाभ : माया

    आज लखनऊ में पत्रकार वार्ता में मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा यूपी चुनाव से पहले जनता का ध्यान बांटने के लिए यह फैसला लिया गया। प्रत्येक नागरिक काले धन से परेशान है परंतु प्रधानमंत्री ने जानबूझकर देरी की ताकि उनके चहेते धन्नासेठ अपने काले धन को विदेश पहुंचा सकें। भाजपा ने भी इस दौरान सौ साल राजनीति करने लायक धन विदेश पहुंचा दिया है। अगर मोदी वाकई काले धन पर अंकुश लगाना चाहते तो ढाई साल इंतजार न करते। मायावती ने करीब आधा घंटे की पत्रकार वार्ता में केवल नोटबंदी पर गुस्सा जताया। उन्होंने लोगों की परेशानियों को भी गिनाया। आरोप लगाया कि पूंजीपतियों से सांठगांठ करके भाजपा ने जितना कमाना है कमा लो, कुछ हिस्सा हमको दे देना, फार्मूला अपनाते हुए अराजकता कर दी। मायावती ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधा। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री के फैसले को सर्जिकल स्ट्राइक बताने से उनकी अंधभक्ति जाहिर होती है।

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    संसद में करेंगे विरोध : मुलायम

    उधर मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री के फैसले की तुलना आपातकाल से करते हुए कहा कि जनता को जेल भेजे बगैर आर्थिक नजरबंद कर दिया गया है और 16 नवंबर से होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में वह इस निर्णय का विरोध करेंगे। पत्रकारों से मुलायम सिंह ने कहा कि वह काला धन और चुनाव में इसके इस्तेमाल के विरोधी हैं मगर प्रधानमंत्री ने आठ नवंबर की रात जिस अंदाज में नोट अमान्य करने का फैसला लिया, उससे आम जनता त्राहि-त्राहि कर उठी है। शादी-ब्याह का समय है। लोगों ने बेटियों की शादी के लिए धन का इंतजाम कर रखा था, उनके सामने संकट हो गया है। सोने-चांदी की कीमत आसमान छूने लगी है। पांच नवंबर को जो सोना 30 हजार रुपए प्रति दस ग्राम था, वह नौ तारीख को 45 हजार तक पहुंच गया। चांदी की दरें भी सोना हो गयी हैं। एक महिला पांच-पांच सौ रुपए के चार नोट लेकर बैंक गई और अधिकारियों ने बिना पहचानपत्र के नोट लेने से इन्कार दिया तो सदमे से उसकी मौत हो गई। इसका जिम्मेदार कौन होगा? मुलायम ने आशंका जताई इससे छोटे कारोबारी, किसान तबाह हो जाएंगे और आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा सकते हैं।

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    चुनाव देख रही भाजपा

    मुलायम ने कहा कि केंद्र सरकार पांच राज्यों के चुनाव देख रही है। लोहिया व समाजवादी पार्टी भी काले धन के विरोधी हैं लेकिन, अगर किसी फैसले से अराजकता फैलेगी तो उसका विरोध किया जाएगा। परंपरा है कि प्रत्येक घर की महिला अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के लिए पति से छुपाकर कुछ रुपये अपने पास रखती है। इसलिए महिलाओं को बिना पूछताछ के पांच लाख रुपए जमा करने की इजाजत मिलनी चाहिए।

    मुलायम ने कहा प्रत्येक व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख रुपए भेजने और विदेश में जमा काला धन लाने का वादा किया था, मगर कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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