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सुब्रत पाठक को मिला डिंपल यादव को हराने का ईनाम, मोदी सरकार में शामिल

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव को हराने वाले सुब्रत पाठक को नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल किया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 05:18 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 05:19 PM (IST)
सुब्रत पाठक को मिला डिंपल यादव को हराने का ईनाम, मोदी सरकार में शामिल
सुब्रत पाठक को मिला डिंपल यादव को हराने का ईनाम, मोदी सरकार में शामिल

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के गढ़ इत्रनगरी कन्नौज से भाजपा को जीत की सुगंध देने वाले सुब्रत पाठक को बड़ा ईनाम मिला है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव को हराने वाले सुब्रत पाठक को नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल किया गया है।

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इत्र कारोबारी घराने से ताल्लुक रखने वाले सुब्रत पाठक ने छात्र जीवन से ही भाजपा से जुड़कर खुद को स्थापित किया और जनता के समर्थन से संसद के सदस्य बन गए हैं। सुब्रत पाठक ने 21 वर्ष बाद इत्रनगरी कन्नौज में भगवा परचम लहराया है। पाठक को शपथ ग्रहण समारोह से पहले पीएमओ की तरफ से उन्हें फोन कॉल आई है।

लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 12,553 मतों से हराया। कन्नौज के पीएसएम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति से सियासत की दुनिया में कदम रखने वाले सुब्रत पाठक ने अपने तीसरे चुनाव में सांसद बनने में कामयाबी हासिल की है। सांसद बनने से पहले वह भाजपा और उससे जुड़े संगठन में सक्रिय थे। भाजयुमो (भारतीय जनता युवा मोर्चा) के जिलाध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष तक के सफर के दौरान उन्होंने कन्नौज में भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। समाजवादी पार्टी का गढ़ बने कन्नौज में भगवा परचम लहराने के उनके संघर्ष का ही नतीजा था कि दो चुनाव में उनकी शिकस्त के बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा बरकरार रखा।

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मोदी लहर ऐसी चली कि विरोधी चारों खाने चित हो गए। सुब्रत पाठक को 49.37 फीसद वोट मिले। डिंपल यादव 48.29 फीसदी वोट ही पा सकीं। यहां पर पाठक को 5,63,087 वोट मिले। डिंपल यादव को 5,49,200 वोटों से संतोष करना पड़ा। 2014 के चुनाव में सुब्रत पाठक दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें डिंपल यादव ने 19,907 वोट से हराया था। इससे पहले 2009 के चुनाव में अखिलेश यादव के मुकाबले तीसरे नंबर पर रहे थे। सुब्रत पाठ को 150872 मिले थे। इसके बावजूद पार्टी ने उनपर भरोसा रखा और निकाय चुनाव में उनकी मां सरोज पाठक को पालिकाध्यक्ष का टिकट दिया। 

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