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    Madhumita Murder: मधुमिता हत्याकांड के दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि और पत्नी की होगी रिहा, अच्छे आचरण से मिली छूट

    लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में कवियत्री मधुमिता की नौ मई 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच सीबीआई ने की थी। देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने मधुमिता की हत्या में दोषी पाए गए गोरखपुर निवासी बाहुबली व सपा के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

    By Alok MishraEdited By: Shivam YadavUpdated: Fri, 25 Aug 2023 12:45 AM (IST)
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    पूर्व में दोनों हरिद्वार जेल में निरुद्ध थे।

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो: कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी बाहुबली पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई होगी। कारागार विभाग ने दंपती की दया याचिका को स्वीकार कर अच्छे आचरण के चलते शेष सजा को माफ कर समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया है।

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    लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में कवियत्री मधुमिता की नौ मई, 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच सीबीआई ने की थी। देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने मधुमिता की हत्या में दोषी पाए गए गोरखपुर निवासी बाहुबली व सपा के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पूर्व में दोनों हरिद्वार जेल में निरुद्ध थे। 

    दोनों ने काटी है 20 साल से अधिक की जेल

    बाद में दंपती को गोरखपुर जेल स्थानांतरित किया गया था। वर्तमान में दोनों गोरखपुर जेल में ही निरुद्ध हैं। कारागार विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अमरमणि की आयु 66 वर्ष है। वह 22 नवंबर, 2022 तक 17 वर्ष, नौ माह व चार दिन की अपरिहार सजा काट चुके हैं, जबकि 20 वर्ष एक माह व 19 दिन की सपरिहार सजा काट चुके हैं। ऐसे ही मधुमणि की उम्र 61 वर्ष है। वह 22 नवंबर, 2022 तक 17 वर्ष, तीन माह व नौ दिन की अपरिहार तथा 20 वर्ष, दो माह व 18 दिन की सपरिहार सजा काट चुकी हैं। 

    अच्छे आचरण को देखते हुए दी गई समयपूर्व रिहाई

    अलग-अलग जारी आदेशों के अनुसार, दंपती की भोगी गई सजा व अच्छे जेल आचरण को देखते हुए शेष सजा को परिहार करते हुए समयपूर्व रिहाई का निर्णय किया गया है। यदि अमरमणि त्रिपाठी व मधुमणि त्रिपाठी को किसी अन्य वाद में निरुद्ध रखा जाना वांछित नहीं है तो उन्हें जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के समक्ष दो जमानतें व तथा उतनी ही धनराशि का निजी मुचलका देने पर जेल से मुक्त किए जाने का आदेश दिया गया है। 

    हर माह मिलता है परिहार

    एक अधिकारी के अनुसार, अच्छे आचरण के आधार पर सिद्धदोष बंदी को हर माह तीन से सात दिनों का परिहार मिलता है, जिसे उसकी काटी गई सजा में जोड़कर सपरिहार सजा की गणना की जाती है। एक अधिकारी के अनुसार, अमरमणि व मधुमणि की ओर से पूर्व में भी दया याचिका दी गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर राज्य सरकार द्वारा उनकी दया याचिका पर विचार न किए जाने की बात कही थी।