राष्ट्र प्रेरणा स्थल: 65 एकड़ क्षेत्रफल में 30 फीट ऊंचा था कूड़े का पहाड़, यहां से निकलना भी था मुसीबत भरा
लखनऊ के हरदोई रोड पर स्थित बसंतकुंज के पास कभी कूड़ा स्थल रहे क्षेत्र को राष्ट्र प्रेरणा स्थल के रूप में बदल दिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार ...और पढ़ें

अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर हरदोई रोड के बसंतकुंज के पास बने राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर डेढ़ लाख लोगों का हुजूम दिखा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई प्रमुख लोग जनता को संबोधित करेंगे लेकिन अतीत में जाएं तो यहां पर एक समय एक सेकेंड भर खड़ा होना किसी मुसीबत से कम नहीं था।
खड़ा होना तो दूर सड़क से निकलने पर एक किलोमीटर दूर से ही नाक को बंद कर पड़ता था। कारों के शीशे बंद हो जाते थे। हर दिन शहर भर के मोहल्लों से निकला करीब बारह साै मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र हो रहा था। धीरे धीरे इस स्थल का नाम घैला का कूड़ा स्थल बन गया। छह लाख मीट्रिक टन कूड़े का तीस फीट ऊंचा पहाड़ हवा को भी बीमार कर रहा था।
यह जगह घैला गांव की थी लेकिन अब नजारा बदल गया है। अर्बन प्लानिंग का यह अनोखा अनुभव और उपयोग है, जो उन शहरों को मार्गदर्शन देने का काम करेगा, जो कूड़े के खड़े हो रहे पहाड़ से परेशान हैं। करीब छह लाख मीट्रिक टन कूड़े का उपचार कर जगह को खाली कराया गया।
कूड़े से तैयार मिट्टी और खाद का उपयोग खेतों की भराई में किया गया, जो करीब 4.80 टन था। दरअसल किसानों ने किसान पथ के निर्माण के दौरान खेतों की मिट्टी को मुंह मांगे दामों पर बेच दिया था और उन्हें भराई के लिए मिट्टी चाहिए थी, जिसका उपयोग कूड़े से तैयार मिट्टी से किया गया।
कूड़े से निकली करीब पंद्रह प्रतिशत पालीथिन का उपयोग मेरठ की विजेंद्र एनर्जी कंपनी को दे दिया गया था, जिसका उपयोग बिजली बनाने में आया। घैला में 1990 से लेकर 1997 तक एकत्र हुए कूड़े में समय समय में आग लगा दी जाती तो मीथेन बनने से धुएं का गुबार दिखता था और कहीं कहीं आग की लौ दिखती थी। दमकल वाहनों को बुलाकर उसे बुझाया जाता था तो बारिश में पानी से भीगे कूड़े की दुर्गंध दूर तक जाती थी।
पूरे इलाके के पर्यावरण को बीमार कर रहे कूड़े के पहाड़ ने लोगों सांस रोगी बना दिया था। कूलर व ऐसी से कूड़े की दुर्गंध घरों तक में पहुंच जाती थी। वर्ष 1997 से घैला में कूड़ा एकत्र होना तो बंद हो गया था लेकिन दूर से दिखने वाला कूड़े का पहाड़ मुसीबत कम नहीं कर रहा था।
2020 में शासन ने घैला के कूड़े के पहाड़ को खत्म करने का निर्णय लिया और जलनिगम की कांस्ट्क्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएंडडीएस) को कार्यदायी संस्था तैनात किया गया। शासन स्तर पर हुए ग्लोबल टेंडर में 2021 में यह काम लखनऊ की मेसर्स मुस्कान ज्योति संस्था को 13 करोड़ में दिया गया।
मशीनों की मदद से कूड़े की छनाई की गई और मिट्टी को अलग करने का काम किया गया। तीन साल का समय लगा और 80 प्रतिशत मिट्टी को अलग करके उसे जगह जगह भराई में उपयोग किया। एलडीए ने अपनी जमीन का उपयोग राष्ट्र प्रेरणा स्थल के रूप में किया और वहां के बदले नजारे की तस्वीर देश दुनिया की नजरों में है। मेसर्स मुस्कान ज्योति संस्था के संचालक मेवालाल कहते थे कि जितना कूड़ा उपचार के लिए निकाला जाता था, उतना फिर से दिखने लगता था। कारण यह है कि बारिश के दौरान पानी भर जाने से कूड़े में नीचे तक नमी पहुंच गई थी।
नगर निगम के अपर नगर आयुक्त डा. अरविंद राव कहते हैं कि घैला से कूडें का पहाड़ शहर के लिए दाग था, जिसे खत्म किया गया। इससे ही यह सीख मिली कि नगर निगम ने मोहान रोड शिवरी में एकत्र हो चुके बीस लाख टन मीट्रिक टन कूड़े में से दस लाख मीट्रिक टन का उपचार किया जा चुका है और यह कार्य चल रहा है।
बदला रहा कूड़े का पहाड़
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती और समय के साथ बढ़ती आबादी से आसपास के निवासियों की नाराजगी के कारण 1997 में घैला (जहां आज राष्ट्र प्रेरणा स्थल है) में कूड़ा गिरना बंद हो गया। इसके बाद शहर का कूडा 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से हरदोई रोड पर बरावनखु्र्द में कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना स्थल पर गिराया जाना लगा लेकिन डेढ़ साल में ही परियोजना में ताला लटक गया लेकिन कूड़ा गिरना जारी रहा।
इसके अलावा गोमती नदी के किनारे उस जमीन पर कूड़ा गिराया जाने लगा, जहां सेना से जमीन का विवाद चल रहा था तो कुछ कूड़ा ऐशबाग की मोतीझील के साथ ही शहर के उन जगहों पर गिराया जाने लगा, जहां पर गहराई थी। जानकीपुरम में जिस जगह सहारा इस्टेट है, वहां पर लंबे समय तक कूड़े से पटाई की गई थी।
2007 में मोहान रोड के शिवरी गांव के पास कूड़ा प्रबंधन का प्लांट लगाया गया और शहरभर से निकलने वाले दो हजार मीट्रिक टन कूड़ा गिराया जाने लगा और वहां पर बीस लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ दिखने लगा। अब दो साल से सरकार की तरफ से दिए गए 98 करोड़ के बजट के बाद से कूड़े का प्रबंधन हो रहा है और दस लाख मीट्रिक टन कूड़े से खाद बनाने के साथ ही उसका अन्य तरह से उपयोग हो रहा है।
बदली तस्वीर से अब दुर्गंध की जगह आ रही खुशबू
''राष्ट्र प्रेरणा स्थल'' को भारतीय राष्ट्रवाद की त्रयी कहे जाने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों और अमूल्य योगदान को जन-जन तक पहुंचाने का अनुपम प्रयास है। इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती पर उद्घाटन समारोह के लिए भव्य तैयारियां की गई हैं।
अतिथियों समेत, डेढ़ लाख से अधिक लोग इस अवसर के साक्षी बनेंगे। राष्ट्र प्रेरणा स्थल के विशाल प्रांगण में फूलों से कमल की आकृति की रंगोली बनाई जा रही हैं। साथ ही प्रेरणा स्थल की बाहरी दीवारों पर कला संस्कृति विभाग की ओर से राष्ट्रीय सांस्कृतिक चिन्हों का अलंकरण किया गया है।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल को कमल की आकृति में बनाया गया है। प्रेरणा स्थल में राष्ट्रवाद के शिखर पुरुषों डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं दीन दयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65-65 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है। जिनका निर्माण विश्व विख्यात मूर्तिकार राम सुतार और मातू राम आर्ट क्रिएशंस ने किया है।
प्रतिमाओं को फेसेड लाइटिंग और प्रोजेक्शन मैपिंग से सजाया गया है। साथ ही परिसर में राष्ट्र नायकों को समर्पित संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है। संग्रहालय की इंटरप्रिटेशन वाल पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के म्यूरल आर्ट से देश की राष्ट्रीयता की यात्रा को दर्शाया गया है।
संग्रहालय के कोर्टयार्ड में राष्ट्रीय भावना की प्रतीक भारत माता की प्रतिमा स्थापित की गई है। राष्ट्र नायकों को समर्पित गैलरियां उनके जीवन, विचारधारा और संघर्षों को जीवंत बनाती हैं। साथ ही राष्ट्र प्रेरणा स्थल परिसर में सिंथेटिक ट्रैक, मेडिटेशन सेंटर, विपश्यना केंद्र, योग केंद्र, हेलीपैड और कैफेटेरिया का भी निर्माण किया गया है।
इसके अलावा परिसर में 3000 की क्षमता वाले एम्फीथिएटर और लगभग दो लाख की क्षमता के रैली स्थल का भी निर्माण किया गया है। राष्ट्र प्रेरणा स्थल न केवल ऐतिहासिक स्मृति का बिंदु है, बल्कि भावी पीढ़ियों में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करेगा।

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