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    लखनऊ में कुकरैल नाइट सफारी के साथ ईको-टूरिज्म का भी होगा कायाकल्प; चिल्डेन पार्क, प्ले स्टेशन और ओपन जिम का हो रहा निर्माण

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 05:42 PM (IST)

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में लखनऊ 'टूरिज्म हब' बन रहा है। इंदिरानगर के कुकरैल वन क्षेत्र को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने का काम तेजी ...और पढ़ें

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    लखनऊ में कुकरैल नाइट सफारी और ईको-टूरिज्म का कायाकल्प

    डिजिटल डेस्क,लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ 'टूरिज्म हब' के रूप में उभरने को तैयार है। इंदिरानगर स्थित कुकरैल वन क्षेत्र को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में काम तेज हो गया है। यहाँ एक ओर देश की अत्याधुनिक 'नाइट सफारी' का विकास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यूपी ईको टूरिज्म बोर्ड पर्यटकों के अनुभव को यादगार बनाने के लिए बुनियादी सुविधाओं और मनोरंजन के साधनों का विस्तार कर रहा है।

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    2 करोड़ की लागत से संवर रहा है कुकरैल

    यूपी ईको टूरिज्म बोर्ड के एडिशनल डायरेक्टर पुष्प कुमार के अनुसार, कुकरैल वन क्षेत्र में मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुआ अभ्यारण्य देखने आने वाले पर्यटकों के लिए ₹2 करोड़ की लागत से आधुनिक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य यहाँ आने वाले परिवारों, विशेषकर बच्चों को प्रकृति के करीब लाना और उन्हें रोमांचक अनुभव प्रदान करना है।

    पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण:

    • चिल्ड्रेन पार्क और प्ले स्टेशन: बच्चों के लिए एडवेंचरस गेम्स, झूले और सुरक्षित प्ले एरिया।

    • ओपन जिम: फिटनेस के शौकीनों के लिए जंगल की ताजी हवा के बीच व्यायाम की सुविधा।

    • बांस की गोल हट: पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक हट बनाई जा रही हैं, जो पर्यटकों को सुकून का अहसास कराएंगी।

    • नेचर वॉक ट्रेल: कुकरैल नदी के किनारे विकसित की जा रही इस ट्रेल पर पर्यटक पक्षियों और पेड़-पौधों को करीब से देख सकेंगे।

    नये साल में मिलेगा सुविधाओं का तोहफा

    पर्यटकों की सुविधा के लिए वन क्षेत्र में आधुनिक कैफेटेरिया, पार्किंग और स्वच्छ शौचालयों का निर्माण भी युद्ध स्तर पर जारी है। विभाग का लक्ष्य है कि नए साल के शुरुआती महीनों में ही इन सुविधाओं को आम जनता के लिए खोल दिया जाए।

    यह परियोजना न केवल लखनऊ में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। कुकरैल अब केवल एक वन क्षेत्र नहीं, बल्कि प्रकृति और आधुनिकता के मिलन का एक बेहतरीन उदाहरण बनने जा रहा है।