लखनऊ विश्विद्यालय में शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज, पहलगाम हमले पर की थी विवादित टिप्पणी
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ. माद्री काकोटी के विवादित बयान से विवाद खड़ा हो गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया है। छात्रों ने देश विरोधी मानसिकता रखने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिकायत विभागाध्यक्ष को भेज दी है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में धर्म पूछकर निर्दोष लोगों को गोली मारे जाने की घटना से शोक और आक्रोश का माहौल है। इस बीच लखनऊ विश्वविद्यालय की एक शिक्षिका डॉ. माद्री काकोटी के विवादित बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
उनके बयान को देश की एकता को आघात पहुंचाने वाला बताया जा रहा है। छात्रों और संगठनों में रोष इस कदर है कि अब उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है।
छात्रों ने कार्रवाई की मांग की
शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई ने इस बयान के विरोध में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर धरना प्रदर्शन किया और कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को ज्ञापन सौंपते हुए शिक्षिका पर कार्रवाई की मांग की।
एबीवीपी लखनऊ महानगर के सह मंत्री जतिन शुक्ला ने कहा कि एक शिक्षक का कर्तव्य बच्चों का भविष्य संवारना होता है, लेकिन इस प्रकार के बयान पूरे शिक्षक समुदाय की छवि को आघात पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश शोक में है, ऐसे समय में इस तरह के बयान समाज को विभाजित करने का काम कर रहे हैं। डॉ. काकोटी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई हो- सहमंत्री
लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई की सहमंत्री साक्षी सिंह ने कहा कि देश विरोधी मानसिकता रखने वालों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। एबीवीपी ने इस संबंध में न सिर्फ कुलपति को ज्ञापन सौंपा, बल्कि थाना हसनगंज में एफआइआर के लिए तहरीर भी दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्रों की शिकायत शनिवार को ही संबंधित विभागाध्यक्ष को भेज दिया था, लेकिन रविवार को अवकाश के कारण इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
इसी बीच रविवार को पाकिस्तान के कई एक्स हैंडल्स और मीडिया संस्थानों ने डा. काकोटी के बयान को प्रसारित कर दिया, जिससे मामला और अधिक गरमा गया। इसके बाद कई अन्य संगठनों ने भी शिक्षिका पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन अभी इस मामले में औपचारिक प्रतिक्रिया देने से बच रहा है।
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