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    टूरिस्ट को अब लखनऊ से दुधवा के आगे गौरीफंटा तक पहुंचाएगी बस सेवा, जंगल सफारी प्रेमियों के लिए बढ़े विकल्प

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 06:38 PM (IST)

    लखनऊ से दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और गौरीफंटा तक नई एसी बस सेवा शुरू हुई है। यह सेवा पर्यटकों को दुर्लभ वन्यजीवों और जैव विविधता से भरपूर तराई क्षेत्र का ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अगर आप बाघ, एक सींग वाला गैंडा, हाथी, हिरण, बारहसिंगा और तेंदुए जैसे दुर्लभ वन्यजीवों को देखने दुधवा राष्ट्रीय उद्यान जा रहे हैं तो अपनी यात्रा को और रोचक बना सकते हैं। कैसरबाग बस स्टेशन से दुधवा जाने वाली विशेष एसी बस सेवा अब पर्यटकों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित गौरीफंटा तक घुमाएगी। इकोटूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और वन विभाग के प्लान पर अमल करते हुए यूपीएसआरटी ने यह निर्णय लिया है। बता दें कि ठंड के मौसम में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

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    पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि यह पूरा तराई क्षेत्र जैव विविधता से भरा हुआ है। पर्यटक न केवल दुधवा के जंगल और दलदली इलाकों की सैर करेंगे, बल्कि इससे 20 किलोमीटर आगे स्थित गौरीफंटा और उससे जुड़े प्राकृतिक क्षेत्रों का भी आनंद ले सकेंगे। प्रकृति प्रेमियों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

    नई व्यवस्था के तहत यह बस सुबह 8:00 बजे कैसरबाग से रवाना होकर दोपहर 2:00 बजे गौरीफंटा पहुंचेगी। वापसी में बस 2:30 बजे गौरीफंटा से चलकर 3:00 बजे दुधवा पहुंचेगी और फिर 3:30 बजे दुधवा से लखनऊ लौटते हुए रात 9:00 बजे कैसरबाग पहुंचेगी। लखनऊ से दुधवा का किराया 487 रुपये तथा लखनऊ से गौरीफंटा तक 536 रुपये होगा। नई सेवा से दुधवा, कतर्नियाघाट और गौरीफंटा के जंगलों में आने वाले प्रकृति प्रेमियों को कनेक्टीविटी मिलेगी।

    दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच राजामोहन ने बताया कि गैंडों के शावक पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं। यहां के घने जंगल, साल के पेड़, घास के मैदान और दलदली क्षेत्र भारत में सबसे समृद्ध प्राकृतिक क्षेत्रों में शामिल हैं। कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी की जैव विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है, जहां हाथी, बाघ, तेंदुए, दुर्लभ पक्षी और अन्य जीवों की बड़ी आबादी है।

    वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में दुधवा टाइगर रिजर्व (लखीमपुर खीरी) में विशेषज्ञों ने ट्रंकुलाइज कर एक नर और एक मादा गैंडा के गले से रेडियो कालर हटा दिया। ये जीव अब जंगल में स्वतंत्र घूम सकेंगे। सकें। रेडियो कॉलर निकालने का यह अभियान पहले से आज़ाद किए गए गैंडों की निगरानी के बाद उनकी जंगल में अनुकूलता के संकेत मिलने पर किया गया है।