22 दिन तक सोफे पर सोई... लगता था हर वक्त कोई कर रहा निगरानी, लखनऊ की महिला के सा ये क्या हुआ?
लखनऊ में एक महिला साइबर ठगी का शिकार हुई। जालसाजों ने उसे डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराया और धमकाया। उन्होंने महिला से उसके बैंक खातों और जेवरात से पैसे हड़प लिए। पुलिस का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई नियम नहीं है और लोगों को साइबर अपराध से सतर्क रहना चाहिए। शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

आयुष्मान पांडेय, लखनऊ। मैं 22 दिन तक घर में कैद रही, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी। जालसाज सुनीता की बातें सुनकर मेरा दिल हर समय घबरा रहा था उसने कहा कि मेरे खिलाफ सीबीआइ में मुकदमा दर्ज है, जिसमें सात वर्ष की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना है।
मैं डर गई और सोफे पर बैठ गई। फिर उसने मुझे विक्रम सर से बात करवाई, जिन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा कि अपने सभी दस्तावेजों की फोटो खींचकर भेजो। मैंने असमर्थता जताई, लेकिन उन्होंने मुझे धमकाया कि मैं उनकी बात मानूं।
मैंने उनके कहे अनुसार किया, लेकिन मेरी चिंता बढ़ती जा रही थी। उन्होंने मुझसे कहा कि डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है। मुझे घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। मैं घर में कैद थी, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने मुझे टाइम टेबल दिया था, जिसमें मुझे वीडियो काल पर रहना पड़ता था।
मैं घर से बाहर जाती तो वीडियो काल आ जाती थी, मैं घर आकर चुपचाप सोफे पर बैठती थी। टीवी भी नहीं चलाने देते थे। मैं थोड़ा बहुत खाकर वापस सोफे पर सो जाती थी। किसी से बात करने के लिए भी मना कर दिया था। उन्होंने मुझे कभी किसी खाते में रकम डालने के लिए कहा, तो कभी किसी खाते में।
इस दौरान उनको मौका मिला था, कि वह बैंक मैनेजर से मामले की शिकायत करें, लेकिन उन्होंने नहीं किया। जब मेरा खाता खाली हो गया, तो उन्होंने मुझे जेवरात गिरवी रखने के लिए कहा। मैं डर गई और रोते हुए सारा सोना निकाला और बैंक जाकर गिरवी रखा तब भी वह किसी की मदद ले सकती थी, लेकिन नहीं ली।
बल्कि लोन से जो रकम मिली, उसे अपने खाते में मंगवा लिया लेकिन उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा। उन्होंने मुझसे कहा कि घर में और किसी की जानकारी दो। मैंने कहा कि मेरे बच्चे नहीं हैं, देवर हैं। उन्होंने देवर से बात करवाने के लिए कहा।
देवर ने बात की तो उन्होंने बताया कि ठगी की गई है। यह सुनते ही मैं रोने लगी। उन्होंने कहा मुझे कई बार मौका मिला था बचने का लेकिन मैंने कोशिश नहीं की। इसी का फायदा उन जालसाजों ने उठा लिया। करीब छह दिन तक मेरी तबियत खराब रही, शुक्रवार को किसी तरह साइबर क्राइम थाने पहुंची और शिकायत दर्ज करवाई।
डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई नियम नहीं
पुलिस ने बताया कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें डिजिटल अरेस्ट किया जा सके। कोई पुलिसकर्मी आन लाइन बात नहीं करता है और अरेस्ट की धमकी भी नहीं देता है।
शिकार होने पर यह करें
- -ठगी का शिकार होते ही तुरंत 1930 पर काल करें।
- -पास के साइबर थाने पहुंचे और पूरी जानकारी दें।
- -तुरंत बैंक के खातों को ब्लाक करवाएं।
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