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    हैरान कर देने वाला कदम, लखनऊ में पालतू कुत्ते के बीमार होने से परेशान दो बहनों ने दे दी जान

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:04 PM (IST)

    Lucknow Crime News: परिवारीजन ने बताया कि दोनों बहनों ने जर्मन शेफर्ड नस्ल का कुत्ता पाला था, जिसका टोनी नाम रखा था। उसके बीमार होने के बाद से दवा करव ...और पढ़ें

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    दो बहनों के आत्महत्या करने के बाद घर के बाहर एकत्र पड़ोसी

    जागरण संवाददाता, लखनऊ: पालतू कुत्ते के लंबे समय से बीमार होने के कारण दो सगी बहनों ने लखनऊ में अपनी जान दे दी। जर्मन शेफर्ड नस्ल का कुत्ता बीमार था और उसके ठीक न होने पर दोनों बहनें डिप्रेशन में आ गईं।

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    एक महीने से बीमार पालतू कुत्ते के सही न होने से सगी बहनें डिप्रेशन में आ गई थी। उसे खो देने के डर से दोनों बहनों फिनायल पीकर आत्महत्या कर ली। एक की मौत अस्पताल पहुंचते ही हो गई, जबकि दूसरी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। हंसते-खेलते घर में एक साथ उठी दो अर्थियों ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया।

    पारा थाना के जलालपुर के दोदाखेड़ा गांव की 24 वर्षीया राधा सिंह व 22 वर्षीय जिया सिंह ने फिनायल पी लिया है। ग्रेजुएशन के बाद दाेनाें परिवार के साथ रहती थीं। भाई वीर सिंह ने बताया कि दोनों बहनों ने घर में जर्मन शेफर्ड नस्ल का एक डाग पाल रखा था, जिसका नाम टोनी है। टोनी एक महीने से बीमार चल रहा था। उसका लगातार इलाज कराया जा रहा था, लेकिन हालत में कोई खास सुधार नहीं हो रहा था। इसी बात को लेकर दोनों बहनें बेहद परेशान और डिप्रेशन में थीं।

    मां गुलाबा देवी ने बुधवार को दोनों बेटियों को पास की दुकान से घरेलू सामान लेने भेजा था। दुकान से लौटने के कुछ देर बाद दोनों की हालत बिगड़ने लगी। कराहती हुई मां के पास पहुंचीं और बताया कि उन्होंने फिनायल पी लिया है। मां ने तुरंत उन्हें फोन कर बेटे काे सूचना दी। आसपास के लोगों की मदद से दोनों को रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल पहुंचाया गया।

    हालत गंभीर देख डाक्टरों ने दोनों को ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया, लेकिन राधा की रास्ते में ही मौत हो गई। ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान जिया ने भी दम तोड़ दिया। पुलिस ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराकर परिवार काे सौंप दिया है।

    टोनी से बहुत प्यार करती थी बहनें

    वीर सिंह ने बताया कि दोनों बहनें टोनी(कुत्ते) से बेहद प्यार करती थीं। अगर टोनी खाना नहीं खाता था, तो वे भी खाना छोड़ देती थीं। छोटी बहन जिया की मानसिक स्थिति पहले से भी पूरी तरह ठीक नहीं थी और वह जल्दी अवसाद में चली जाती थी। कुत्ते की लगातार बिगड़ती हालत ने दोनों को अंदर से तोड़ दिया था। पड़ोसियों के मुताबिक, पिता कैलाश सिंह रुई धुनाई का काम करते थे, वह भी पिछले छह महीने से बीमार हैं और बिस्तर पर हैं। परिवार एक बेटे को सात वर्ष पहले ब्रेन हेमरेज में खो चुका है। अब दो बेटियों की एक साथ मौत ने माता-पिता की कमर तोड़ दी है।

    मरने से पहले कहा टोनी को भगाना नहीं, इलाज करवाना

    मां गुलाबा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार एक ही बात दोहरा रही थीं कि बेटियों ने आखिरी वक्त में उनसे कहा था कि मां, हमारे मरने के बाद डागी को घर से मत भगाना, उसकी दवा कराते रहना।मां के लिए अब यह वाक्य ही उनकी बेटियों की आखिरी निशानी बन गया है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, हालांकि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की ही पुष्टि हुई है।