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    लखनऊ में कुकरैल के दोनों किनारों पर विकसित होंगे पाथ-वे और वन, DM ने कार्यों किया निरीक्षण

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 09:16 PM (IST)

    लखनऊ में कुकरैल नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराने के बाद नदी में प्रवाह दिखने लगा है। जिलाधिकारी ने सौमित्र वन क्षेत्र का निरीक्षण किया जहाँ पाथ-वे हार्टीकल्चर और लाइटिंग का कार्य चल रहा है। 14 एकड़ में पार्क किड्स जोन और ग्रीन एरिया विकसित किए जा रहे हैं। पौधों की सिंचाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई है और नदी के दोनों किनारों पर सौंदर्यीकरण का कार्य होगा।

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    अयोध्या मार्ग पर विकसित किए जा रहे सौमित्र वन का निरीक्षण करते जिलाधिकारी विशाख जी व अन्य।

    जागरण संवाददाता,  लखनऊ। अतिक्रमण से मुक्त हो चुकी कुकरैल नदी में फिर प्रवाह दिखने लगा है। डीएम विशाख जी ने शुक्रवार को नदी किनारे लखनऊ विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम द्वारा विकसित किए जा रहे सौमित्र वन क्षेत्र को देखा। यहां पर 550 मीटर में पाथ-वे बनाया जाएगा, जिसके साथ हार्टीकल्चर, लैंडस्केपिंग और लाइटिंग के कार्य भी कराए जा रहे हैं।

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    डीएम के साथ मौजूद एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि कुकरैल नदी के तट पर कब्जामुक्त कराई गई 24.7 एकड़ भूमि में से 14 एकड़ क्षेत्रफल में सौमित्र वन विकसित किया जा रहा है। इसमें पार्क, किड्स जोन, लान, ग्रीन एरिया और पाथ-वे आदि बनाया जा रहा है। वन क्षेत्र की सुंदरता को निखारने के लिए हाईमास्ट व फसाड लाइटें भी लगाई जा रही हैं।

    पौधों की सिंचाई की स्थायी व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत पूरे वन क्षेत्र में अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाते हुए पाप-अप स्प्रिंकलर लगाए गए हैं, जिससे पौधों को नियमित रूप से पानी दिया जा सकेगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि कुकरैल नदी के दोनों किनारों पर पौधारोपण एवं पाथवे विकसित किया जाए। इसी क्रम में नदी के किनारे सुरक्षात्मक फेंसिंग लगाकर पाथवे का निर्माण कराया जाए। साथ ही हार्टीकल्चर, लैंडस्केपिंग, लाइटिंग व सुंदरीकरण आदि के कार्य भी कराए जाएं।  नदी किनारे थीम आधारित फूलदार पौधे लगाते हुए औषधि व खाद्य वन विकसित किए जाएं।

    जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि नदी के एक तरफ लखनऊ विकास प्राधिकरण और दूसरे किनारे पर नगर निगम द्वारा यह कार्य कराया जाएगा। दोनों विभाग आपस में समन्वय स्थापित करके कार्य कराएंगे, जिससे दोनों किनारों पर एकरूपता बनी रहे। जिलाधिकारी ने सौमित्र वन का निरीक्षण करके निर्देश दिए कि नदी के किनारे बोल्डर/स्टोन पिचिंग का कार्य कराया जाए।