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    आंगनबाड़ी केंद्रों में सूखा पोषाहार की जगह हाट कुक्ड फूड व टेक होम फूड ही बांटे: हाई कोर्ट

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 09:12 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार के आंगनबाड़ी केंद्रों पर सूखा पोषाहार बांटने के निर्णय को झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार सूखा पोषाहार की जगह गर्म पका भोजन और कच्चा राशन ही बांटे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस योजना को सही मायनों में लागू करे ताकि बच्चों को कुपोषण की समस्या न हो।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    विधि संवाददाता, जागरण, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में समेकित बाल विकास योजना के तहत छह साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वयं सहायता समूहों के जरिये सूखा पोषाहार बांटने के राज्य सरकार के निर्णय को करारा झटका दिया है।

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    कोर्ट ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार सूखा पोषाहार की जगह हाट कुक्ड फूड (गर्म पका भोजन) और टेक होम फूड (कच्चा राशन) ही बांटे। कोर्ट ने कहा कि यह योजना पिछले पचास सालों से चल रही है जिसे सरकार सही मायनों में लागू करे ताकि बच्चों को कुपोषण की समस्या न हो।

    यह निर्णय जस्टिस एआर मसूदी व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने शिप्रा देवी और एक अन्य की ओर से अलग-अलग दाखिल जनहित याचिकाओं को निस्तारित करते हुए पारित किया। याचिका पर पीठ ने गत 29 जुलाई को फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे शुक्रवार को सुनाया।

    लखीमपुर निवासी शिप्रा देवी की ओर से यह याचिका दाखिल कर कहा गया था कि समेकित बाल विकास योजना के तहत केंद्र व राज्य सरकार के समन्वय से आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये पोषाहार बांटा जाता है। नियमों के तहत हाट कुक्ड फूड और टेक होम फूड बांटा जाता था, लेकिन राज्य सरकार ने अब स्वयं सहायता समूहों के जरिये लोकल स्तर सूखा पोषाहार बांटने का निर्णय लिया है जिसे खारिज किया जाना चाहिए।

    याचिका का केंद्र व राज्य सरकार की ओर से विरोध कर कहा गया कि पहले हाट कुक्ड फूड और टेक होम फूड के रूप में पोषाहार बांटने की व्यवस्था थी जिसके लिए कंपनियों से सप्लाई ली जाती थी, लेकिन सरकार के नए निर्णय से स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूहों से यह काम लिया जाएगा जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों से बेहतर पोषाहार मिल सकेगा।

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    यह भी कहा गया कि जनहित याचिकाएं पोषणीय नहीं हैं और ये छद्म रूप से उक्त प्रभावित होने वाली कंपनियों की ओर से दाखिल कराई गई हैं। सरकार की नीति में तभी दखल दिया जा सकता है जब वह किसी संवैधानिक प्रविधान का उल्लंघन करती हो किंतु इस मामले में स्वयं सहायता समूहों को काम देकर किसी संवैधानिक प्रिवधान का उल्लंघन नहीं किया गया है।

    कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए याचिकाओं को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हाट कुक्ड फूड और टेक होम फूड के रूप में ही पोषाहार बांटा जाए।