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    फर्जी IAS को प्रोटोकॉल दिलाने वाला गिरफ्तार, खुद को बताता था आईएएस अफसर का निजी सचिव

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 08:23 PM (IST)

    लखनऊ में वजीरगंज पुलिस ने फर्जी आईएएस अफसर सौरभ त्रिपाठी के निजी सचिव गौरव पांडे को गिरफ्तार किया है। गौरव पर आरोप है कि वह सौरभ को वीआईपी प्रोटोकॉल दिलाने में मदद करता था और उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स का प्रबंधन करता था। पुलिस ने उसके पास से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं और मामले की जांच कर रही है।

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    वजीरगंज पुलिस की ग‍िरफ्त में फर्जी आईएएस अफसर सौरभ त्रिपाठी।

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। वजीरगंज पुलिस ने फर्जी आईएएस अफसर सौरभ त्रिपाठी के निजी सचिव गौरव पांडे को ग्लोब पार्क के पास से गिरफ्तार किया है। पूछताछ में सामने आया कि गौरव फर्जी आईएएस अफसर का निजी सचिव बनकर उसे जिलों और अन्य राज्यों में वीआइपी प्रोटोकाल दिलाता था। सौरभ के सारे इंटरनेट मीडिया खाते भी वही चलाता था। उसके पास से दो मोबाइल बरामद हुए हैं।

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    इंस्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने बताया कि मऊ निवासी फर्जी आइएएस अफसर सौरभ त्रिपाठी से पूछताछ में उसने गौरव के बारे में जानकारी दी थी। उसकी तलाश चल रही थी। मुखबिर से मिली सूचना पर टीम के साथ उसे ग्लोब पार्क के पास से पकड़ा गया। वह भागने की फिराक में परिवर्तन चौक से कैसरबाग बस अड्डे की तरफ जा रहा था।

    मूलरूप से फर्रुखाबाद के थाना फतेहगढ़ स्थित नेकपुर चौरासी गांव का रहने वाला गौरव पांडे वर्तमान में गोमती नगर विस्तार के एमआइ रसलकोर्ट गेट नंबर दो के पास रहता था। पूछताछ में गौरव ने बताया कि सौरभ ने अपनी आइडी पर सिम कार्ड खरीदकर उससे कई इंटरनेट मीडिया खाते बनाए थे। इनके संचालन की जिम्मेदारी सौरभ ने गौरव को दी थी। सौरभ के इंटरनेट मीडिया खाते से तस्वीरें और अन्य सामग्री गौरव ही पोस्ट करता था। कई बैठकों और वीआइपी कार्यक्रमों में वह सौरभ के साथ हिस्सा ले चुका था।

    इसके साथ ही एनआइसी की फर्जी आइडी का संचालन भी गौरव ही करता था। इसकी मदद से वह सौरभ को आइएएस अफसर बताकर जिलों में प्रोटोकाल, गेस्ट हाउस, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं मुहैया कराता था। पुलिस अब उससे पूछताछ कर यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस फर्जीवाड़े में और कितने लोग शामिल हैं।

    सौरभ के नंबर से बनी थी एनआइसी की आईडी

    गौरव ने पुलिस को बताया कि सौरभ ने अपने नंबर का इस्तेमाल कर एनआइसी की फर्जी मेल आइडी तैयार की थी। अंदेशा है कि इसमें किसी वेब डेवलपर की मदद भी ली गई थी। इस पहलू की पड़ताल भी जारी है।

    बिहार की डिफेंडर और दिल्ली की थी मर्सिडीज

    सौरभ के पास से पुलिस को मर्सिडीज, डिफेंडर, फार्च्यूनर समेत कुल छह गाड़ियां मिली हैं। दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि उसने डिफेंडर बिहार और मर्सिडीज कार दिल्ली के दो व्यक्तियों को झांसा देकर ली थी। लोगों ने उसे आइएएस समझकर अपनी गाड़ियां दी। अन्य गाड़ियों के मालिकों के बारे में भी पुलिस पता लगा रही है।

    मोबाइल से खुलेंगे राज

    पुलिस ने सौरभ के साथ ही गौरव का मोबाइल भी कब्जे में लिया है। इनकी सीडीआर निकलवाई जाएगी। साथ ही व्हाट्सएप चैट और इसमें मौजूद अन्य डाटा भी खंगाला जा रहा है। इनकी मदद से पुलिस फर्जीवाड़े से जुड़े अन्य लोगों को भी दबोचने की फिराक में है। दोनों के बैंक खातों का विवरण और अन्य संपत्तियों के बारे में पुलिस पता लगा रही है।

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