दीपावली के बाद वृद्धि के साथ नई दरें घोषित करेगी बिजली विभाग? उपभोक्ता परिषद ने लगाए ये आरोप
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों की घोषणा में देरी पर चिंता जताई है परिषद ने निजीकरण और दरें बढ़ाने की साजिश का आरोप लगाया है। परिषद के अनुसार आयोग ने नौ मई को एआरआर स्वीकृत की थी जिसके बाद नौ सितंबर तक दरें घोषित हो जानी चाहिए थीं।

राज्य ब्यूुरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों की घोषणा में विलंब होने पर चिंता व्यक्त की है। आरोप लगाया है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण और बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की साजिश के तहत यह विलंब कराया जा रहा है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन बिजली दरों में वृद्धि के साथ दीपावली के बाद नई दरें घोषित कराना चाहता है। परिषद ने नियामक आयोग से बिजली दरों की घोषणा तत्काल किए जाने की मांग की है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) स्वीकृत किए जाने से 120 दिनों के अंदर बिजली दरें घोषित करने का नियम है। आयोग द्वारा वर्ष 2025-26 की एआरआर नौ मई को स्वीकृत की गई थी, जिसके बाद बिजली दरों की घोषणा नौ सितंबर तक हो जानी चाहिए थी। यह समयसीमा बीतने के करीब एक माह बाद भी बिजली दरों की घोषणा नहीं की गई जो कि विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा है कि बिजली कंपनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। आयोग द्वारा बिजली दरों की घोषणा की जाएगी तो यह धनराशि और बढ़ेगी। ऐसे में बिजली दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि पूरी तरह अनुचित होगी।
उन्होंने नियामक आयोग से बिजली दरों की घोषणा तत्काल करने, बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज करने, गलत तथ्यों के आधार पर गैप (घाटा) दिखाने पर पावर कारपोरेशन के खिलाफ कार्रवाई करने तथा बिजली कंपनियों के निजीकरण के प्रयास को रोकने की मांग की है।
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