यूपी में बिजली की दर न बढ़ाने के लिए नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल, उपभोक्ता परिषद ने किया ये दावा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली की दरें न बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। परिषद का आरोप है कि पावर कॉरपोरेशन निजीकरण के लिए गलत घाटे के आँकड़े दिखा रहा है जबकि उपभोक्ताओं का भारी सरप्लस है। ऊर्जा मंत्री को दरों में वृद्धि का सुझाव दिया गया जिसका परिषद विरोध करता है और निष्पक्ष जाँच की मांग करता है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बिजली की दर न बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद ने दावा किया है कि पावर कारपोरेशन बिजली का निजीकरण कराने के लिए जानबूझकर घाटे वाले आंकड़े पेश कर रहा है। अगर इन आंकड़ों की जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पावर कारपोरेशन ने 24,022 करोड़ के घाटे का हवाला दिया है। हकीकत यह है कि पिछले कई वर्षों से बिजली कंपनियां पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण के लिए उपभोक्ताओं व सरकार को गुमराह किया जा रहा है। इसलिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी व निजीकरण के मामले में नियमानुसार निर्णय लिया जाना चाहिए। जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की मोटी राशि सरप्लस है तो कंपनियों को घाटा होना समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने उच्च स्तरीय बैठक की है। इस बैठक में अधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री को बिजली की दरें 28 से 45 प्रतिशत बढ़ाने का सुझाव दिया है। यह उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध है। उन्होंने दावा किया है कि अगर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो बिजली की दरों में बढ़ोतरी की बजाय पावर कारपोरेशन को दर कम करनी पड़ेगी।
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