बच्चों के कफ सिरप को लेकर डॉक्टरों की चेतावनी, बिना सलाह भारी पड़ सकती है यह गलती
लखनऊ में बच्चों के कफ सिरप को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों की खांसी-सर्दी में गरम पानी भाप और पर्याप्त आराम प्राथमिक उपचार हैं। कफ सिरप के दुष्प्रभाव हो सकते हैं खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए। उल्टी या सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। घरेलू नुस्खों से ठीक न होने पर विशेषज्ञ से सलाह लें।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते कुछ दिनों से कफ सिरप के कारण 12 बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ राज्यों के स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हो गए हैं। मातृ एवं शिशु अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में एडिशनल प्रो. डा. केके यादव के मुताबिक, बदलते मौसम में सर्दी-खांसी के मामले बढ़ते हैं।
शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र ज्यादातर लोग बिना डाक्टर की सलाह मेडिकल स्टोर से कफ सिरप लेकर बच्चों को पिलाते हैं, जबकि उन्हें न ही उस दवा की जानकारी होती है और न ही सही मात्रा। बच्चों के मामले में यह समझना जरूरी है कि सही मात्रा और कम से कम दिनों के लिए दवा दी जाए और एक साथ कई दवाओं का उपयोग न कतई न हो। यदि आप ऐसा करते हैं तो सतर्क हो जाएं। यह आपके बच्चे की जान जोखिम में डाल सकता है।
प्रो. यादव के अनुसार, कफ सिरप मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। ड्राई कफ सिरप और वेट कफ सिरप। ड्राई कफ सिरप सूखी खांसी को दबाने के लिए काम करता है, जबकि वेट कफ सिरप बलगम को पतला कर उसे बाहर निकालने में मदद करता है।
कुछ सिरप में डेक्सट्रोमेथार्फन होता है, जो दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करता है जो खांसी के लिए सिग्नल भेजता है। बच्चों को अधिक मात्रा में देने पर यह नर्वस सिस्टम, सांस लेने की क्षमता, किडनी-लिवर और कभी-कभी दिल पर भी असर डाल सकता है।
एक्सपेक्टोरेंट तत्व बलगम को पतला करके खांसी को सहज करता है। उन्होंने बताया कि बच्चों के खांसी और सर्दी में गरम पानी, भाप, पर्याप्त पोषण और नींद को प्राथमिक उपचार मानें। सिरप के इस्तेमाल के बाद यदि असामान्य लक्षण जैसे- उल्टी, चक्कर या सांस की दिक्कत हो तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें।
पांच साल की उम्र तक कफ सिरप सुरक्षित नहीं
लोहिया संस्थान में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट डाॅ. पीयूष उपाध्याय ने बताया कि पांच साल तक के बच्चों को कई कफ सिरप देना आमतौर पर सुरक्षित नहीं माना जाता है। इसमें मौजूद डेक्सट्रोमेथार्फन बच्चों में सांस की दिक्कत, चक्कर, उल्टी और बेहोशी पैदा कर सकता है।
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कफ सिरप में इस्तेमाल होने वाले डिकंजेस्टेंट (जैसे इफेड्रिन और स्यूडोएफेड्रिन) नाक की जकड़न से राहत दिलाने में तो कारगर हैं, लेकिन इसका दुष्प्रभाव भी है। फ्रांस, जर्मनी और रूस समेत कई देशों में 15 साल की उम्र तक कफ सिरप पर पाबंदी है। यदि किसी बच्चे की खांसी घरेलू नुस्खों से नहीं ठीक हो रही है तो विशेषज्ञ डाॅक्टर को दिखाएं और सही इलाज कराएं।
उन्होंने कहा, बच्चों के ज्यादातर कफ सिरप में प्रिजर्वेटिव्स जैसे डाइएथिलीन ग्लाइकाल, एथिलीन ग्लाइकाल और अन्य प्रिजर्वेटिव्स भी शामिल होते हैं। यदि इन्हें तय मात्रा से अधिक लिया जाए तो ये बच्चों की किडनी, लिवर समेत अन्य अंग को भी गंभीर नुकसान हो सकता है।
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