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    रामू दादा दब गए… सुनते ही हर कोई रह गया दंग, 200 साल पुराना पीपल गिरने से मची चीख पुकार

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:58 PM (IST)

    लखनऊ के कैसरबाग में मछली मंडी में एक पुराना पेड़ गिरने से रामू दादा नामक एक व्यक्ति उसके नीचे दब गया। शैलू सोनकर ने मदद के लिए लोगों को बुलाया जिसके बाद राहत और बचाव टीम ने मौके पर पहुंचकर पेड़ को हटाया और रामू दादा को अचेत अवस्था में बाहर निकाला। घटना के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी थी कि पहले शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया।

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    लखनऊ: मंगलवार को कैसरबाग मछली मंडी में गिरे पीपल के पेड़ के नीचे दबी स्कूटी। जागरण

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। रामू दादा पेड़ के नीचे दब गए हैं… यह कहते हुए शैलू सोनकर मुख्य मार्ग पर चिल्लाते हुए नजर आए और कहा कि सभी मदद को आइए। इसके बाद सब्जी मंडी में मौजूद लोग मछली मंडी की तरफ भागे और वहां क नजारा देखकर हर कोई दंग रह गया। 

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    हर किसी को यह डर सता रहा कि पेड़ के नीचे कौन-कौन दबा है। महिलाएं रो रहीं थी कि उनका कोई अपना तो पेड़ के नीचे नहीं दब गया है। कारण यह है कि मछली मंडी में भीड़ बनी रहती है।

    राहत बचाव की टीम के पहुंचने से पेड़ को हटाया जाने लगा, लेकिन पुराना पेड़ होने से उसकी जड़े बहुत मोटी हो गई थीं। लिहाजा कटर मशीन से पेड़ों को काटने के साथ नीचे दबे लोगों को निकाला जाने लगा तो रामू दादा को अचेत निकाला गया। 

    मछली का व्यवसाय करने वाले रामू दादा को हर कोई जानता था। इसके बाद तो कैसरबाग की सड़कों पर मजमा लग गया। एंबुलेंस से लेकर दमकल विभाग के वाहन आने दिख रहे। 

    अधिकारियों की भीड़ जुटने लगी, लेकिन हर किसी में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि अगर पहले उनकी शिकायतों को सुन लिया गया होता तो हाल यह हालात न होते। कुछ देर बाद गिरे हुए पेड़ की टहनियों को मुख्य सड़क पर लाया गया, लेकिन उसे खींचकर ले जाना आसान नहीं था। नगर निगम की टीम उसे काट रही थी।

    उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बाद महापौर सुषमा खर्कवाल और विधायक रविदास मेहरोत्रा के साथ ही अधिकारियों के पहुंचने पर हर किसी की नाराजगी थी कि घटना के समय आश्वासन दे दिया जाता है लेकिन फिर कुछ नहीं होता है।

    मंगल के दिन से टल गया बड़ा हादसा

    कैसरबाग में थोक और फुटकर मछली बाजार है, जहां दिन भर खरीदारों की भीड़ रहती है। जिस जगह घटना हुई है, वहां पर ही कई दुकानें हैं, लेकिन मंगलवार का दिन होने से भीड़ कम थी और बड़ा हादसा टल गया। अमर सोनकर कहते हैं कि अगर मंगलवार का दिन न होता तो हादसे में कई लोग पेड़ के नीचे दब जाते।

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