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    यूपी में बनेगा 1000 बेड का नया अस्पताल, नए साल में शहर को मिलेगा उत्तर भारत का पहला एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 02:27 PM (IST)

    लखनऊ में लोहिया संस्थान में 1000 बेड का नया अस्पताल बनेगा, जिसका शिलान्यास जनवरी में होगा। इससे संस्थान में कुल 2250 बेड हो जाएंगे। एसजीपीजीआई में उत् ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मातृ एवं शिशु अस्पताल परिसर में एक हजार बेड का नया अस्पताल बनेगा। इसकी सभी प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। जनवरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुमंजिला भवन की आधारशिला रखेंगे, जिसे दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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    नया अस्पताल बनने के बाद लोहिया में एसजीपीजीआइ से अधिक बेड हो जाएंगे। अभी यहां 1250 बेड हैं, जबकि एक हजार और बढ़ने से 2250 बेड हो जाएंगे। पीजीआइ में 2200 बेड पर मरीजों की भर्ती होती है। इसके अलावा एसजीपीजीआइ में उत्तर भारत का पहला एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर के शुभारंभ की भी पूरी संभावना है।

    अलग-अलग भवन में होगा सुपर स्पेशलियटी एवं ब्राड स्पेशलियटी
    मातृ एवं शिशु अस्पताल परिसर के सामने खाली पड़ी 20 एकड़ भूमि पर एक हजार बेड का नया अस्पताल बनेगा। टेंडर से लेकर सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। मकर संक्रांति के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों नए भवन का शिलान्यास की तैयारी है। संस्थान प्रशासन मुख्य परिसर में सुपर स्पेशलियटी एवं नए भवन में ब्राड स्पेशलियटी का संचालन करेगा। दोनों परिसर में अलग-अलग इमरजेंसी होगी, जिससे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना न पड़े।

    नए साल से लोहिया में ब्रेन ट्यूमर का सटीक उपचार
    लोहिया संस्थान में इसी साल यूपी के पहले एडवांस न्यूरो साइंसेज सेंटर की शुरुआत हुई, जहां बच्चों से लेकर वयस्कों तक न्यूरो से जुड़ी सभी गंभीर बीमारियों का एक छत के नीचे उच्चस्तरीय इलाज मुहैया कराया जा रहा है। नए साल यानि आगामी मार्च तक सेंटर में प्रदेश की पहली अत्याधुनिक गामा नाइफ मशीन लगेगी, जिसकी मदद से जटिल रोग ब्रेन ट्यूमर का उपचार भी बिना सर्जरी संभव हो सकेगा।

    गामा नाइफ लगाने के लिए करीब छह करोड़ के खर्च से बंकर का निर्माण सितंबर में शुरू किया गया, जो फरवरी तक पूरा हो जाएगा। गामा नाइफ मशीन की लागत लगभग 50 करोड़ रुपये है और यह मशीन राज्य के किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में नहीं लगी है। ऐसे में नए साल से न्यूरो के गंभीर से गंभीर इलाज के लिए मरीजों को दिल्ली-मुंबई या किसी कारपोरेट अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा।

    नई इमरजेंसी की भी सौगात
    लोहिया संस्थान के मुख्य परिसर में 45 बेड की अत्याधुनिक इमरजेंसी का निर्माण पूरा कर लिया गया है। जनवरी में इसके शुभारंभ की तैयारी है। अभी संस्थान की इमरजेंसी में 78 बेड हैं, जबकि होल्डिंग एरिया में 30 बेड पर मरीजों को भर्ती किया जाता है।

    नई इमरजेंसी शुरू होने से बेड की संख्या 128 हो जाएगी, जिससे काफी हद तक बेड की कमी को दूर किया जा सकेगा। नई इमरजेंसी के निर्माण पर करीब पांच करोड़ रुपये का खर्च आया है। इसके अलावा शहीद पथ किनारे स्पोर्ट्स कांप्लेक्स भी बन रहा है, जिसे अगले साल पूरा करने का दावा है।

    बच्चों से जुड़ी सभी बीमारियों का मिलेगा विश्वस्तरीय इलाज
    जटिल रोगों के इलाज के लिए देश में अलग पहचान रखने वाले एसजीपीजीआइ में उत्तर भारत का पहला एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर का निर्माण तेजी से हो रहा है। पहले चरण के तहत पांचवां तल पूरा होने के करीब है। पहले चरण में 308 बेड होंगे, जिसमें, प्रशासनिक भवन, फैकल्टी कक्ष आदि तैयार होगा।

    दूसरे चरण में 265 बेड निर्माण होगा। पहले चरण में बच्चों के उपचार से जुड़े 12 विभाग शुरू होंगे और दूसरे चरण में 11 विभाग बनाया जाएगा। इसमें पीडियाट्रिक आंकोलाजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाजी, नेफ्रोलाजी, इंडोक्राइन, न्यूरोलाजी, न्यूरो सर्जरी, आर्थोपेडिक्स विभाग होंगे। संस्थान प्रशासन की ओर से नए साल के आखिरी तक पहला चरण पूरा करने का दावा किया जा रहा है।

    उपचार से साथ ही तैयार होंगे विशेषज्ञ
    एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर में कुल 23 विभागों का संचालन किया जाएगा। ऐसे में संबंधित विधा में बच्चों का उपचार होने के साथ ही विशेषज्ञ भी तैयार किए जाएंगे। यदि एक विभाग में एमडी- एमसीएच की दो-दो सीटों को मंजूरी मिली तो हर साल बच्चों के उपचार के लिए 46 विशेषज्ञ तैयार हो सकेंगे। अभी पीडियाट्रिक से जुड़े सुपर स्पेशियलिटी के ज्यादातर विभाग किसी भी राज्य में नहीं है। एसजीपीजीआइ में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी, कार्डियोलॉजी आदि के विशेषज्ञ हैं।

    पीजीआइ को मिलेंगे 220 नियमित डाक्टर
    संस्थान के विभिन्न विभागों के लिए सितंबर में 220 पदों पर नियमित डाक्टरों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया, जिसके साक्षात्कार अगले माह शुरू होंगे। इंटरव्यू के लिए पैनलिस्ट तय कर लिए गए हैं। संस्थान में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में डाक्टरों की भर्ती होने जा रही है। 220 पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मुहैया कराने में मदद मिलेगी।

    केजीएमयू में शुरू होगा हार्ट एवं लंग ट्रांसप्लांट
    केजीएमयू में अगले साल कई बड़ी सुविधाएं शुरू करने की तैयारी है। विश्वविद्यालय में लंग ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की जाएगी, जिससे फेफड़े के गंभीर मरीजों का प्रत्यारोपण हो सके। फिलहाल, उत्तर भारत में अभी लंग प्रत्यारोपण की सुविधा कहीं नहीं है। इसके अलावा हार्ट ट्रांसप्लांट भी शुरू की जाएगी। दोनों विभागों की ओर से यूनिट स्थापित करने के लिए कार्य शुरू कर दिए गए हैं। केजीएमयू में अगले साल पेन मेडिसिन और ट्रामा क्रिटिकल केयर में डीएम कोर्स के संचालन की भी योजना है। साथ ही कई सुपर स्पेशलियटी विभागों में भी सीटें बढ़ेंगी।

    कैंसर संस्थान में बढ़ेंगे पांच सौ से अधिक बेड
    प्रतिवर्ष कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में सरकार का सुविधाएं बढ़ाने पर जोर है। वैसे तो कैंसर का इलाज एसजीपीजीआइ, लोहिया और केजीएमयू में भी हो रहा है, लेकिन कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में सुविधाएं बढ़ने से मरीजों की प्रतिक्षा सूची को कम करने में काफी मदद मिल रही है। यहां मौजूदा समय में 300 बेड में गंभीर रोगियों की भर्ती की जाती है और इमरजेंसी में 25 बेड पर इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

    नए साल में 535 बेड और बढ़ेंगे। नया भवन बनकर तैयार हो गया है। सभी जरूरी उपकरण लगाए जा रहे हैं। नर्सिंग स्टाफ की भी तैनाती पूरी हो चुकी है। जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा। नए साल में संस्थान में पेट स्कैन की जांच शुरू होगी। मशीन संस्थान पहुंच चुकी है। साथ ही गामा नाइफ भी लगाने की तैयारी है।

    हालांकि, मरीजों को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए एचआरएफ सिस्टम पर अभी काम करने की जरूरत है। रेडियोलाजी विभाग में कोई स्थायी डाक्टर न होना संस्थान के लिए अभी भी चुनौती है। इसके अलावा कई और विभागों में चिकित्सकों की भारी कमी है। नए साल में संस्थान में लगभग सभी कैंसर के इलाज का दावा किया जा रहा है।