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    UP News: 108 एंबुलेंस से अब मिलेगी ‘लाइफलाइन’ सेवा, Heart Attack पेशेंट्स के लिए बड़ी राहत

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 09:03 PM (IST)

    लखनऊ में हार्ट अटैक के मरीजों के लिए एम्बुलेंस सेवा को सुधारा गया है। स्टेमी केयर नेटवर्क के तहत एम्बुलेंस सीधे उच्च स्तरीय चिकित्सा केंद्र पहुंचाएंगी। स्वास्थ्य विभाग ने 108 एम्बुलेंस और एएलएस एम्बुलेंस को निर्देश दिए हैं कि मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत रेफर किया जाए। नए जिलों को नेटवर्क से जोड़ा गया है और एएलएस एम्बुलेंस की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।

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    हार्ट अटैक के मरीजों को सीधे स्पेशलिटी सेंटर पहुंचाएगी एंबुलेंस।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्टेमी केयर नेटवर्क में भर्ती हुए हार्ट अटैक के मरीजों को एंबुलेंस सीधे उच्च स्तरीय चिकित्सा केंद्र पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। इनके बीच जिलों की सीमाएं बाधा नहीं बनेंगी।

    मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से प्राथमिक इलाज के बाद सीधे उच्च स्तरीय चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए 108 एंबुलेंस सेवा और एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस का संचालन करने वाली एजेंसी को दिए हैं।

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    स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक रवि कुमार ने स्टेमी केयर नेटवर्क से जुड़ने वाले नए जिलों के सीएमओ, सीएमएस, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षकों को इसके संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। सभी अधिकारियों से कहा गया है कि वो स्टेमी हार्ट अटैक से किसी मरीज की मौत न हो, इसके लिए जरूरी है कि उसे प्राथमिक इलाज के बाद उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान रेफर किया जाए।

    जिससे उसे जरूरी इलाज मुहैया कराया जा सके। स्टेमी केयर नेटवर्क से 20 नए जिले जोड़े जाने हैं। जीएसवी मेडिकल कालेज कानपुर, मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रयागराज, आइएमएस बीएचयू को नए जिलों का उच्च स्तरीय चिकित्सा केंद्र (हब) बनाया गया है।

    एएलएस सेवा में बढ़ेंगी 125 एंबुलेंस

    प्रदेश में एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस की संख्या भी बढ़ाने की तैयारी है। वर्तमान में 375 एएलएस एंबुलेंस का संचालन हो रहा है। इसमें 125 एंबुलेंस और शामिल की जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव आनंद कुमार राय ने एंबुलेंस के लिए 7.47 करोड़ रुपये जारीकर दिए हैं।

    नई एंबुलेंस आने से एएलएस की संख्या 500 हो जाएगी। इससे गंभीर मरीजों की अस्पताल पहुंचाने के दौरान एंबुलेंस में ही जीवन रक्षक उपकरणों से जान बचायी जा सकेगी।