लखनऊ में प्रतिबंध के बावजूद आउटर रिंग के किनारे हो रही प्लाटिंग, राजधानी के विस्तार में बड़ी चुनौती बनेगा अनियोजित विकास
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद शहर में अवैध निर्माण जारी है। आउटर रिंग रोड के पास प्लाटिंग और बाउंड्रीवाल बन रही हैं जिससे एससीआर की योजना प्रभावित हो रही है। एलडीए और जिला पंचायत के बीच सीमा विवाद के कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है। औद्योगिक विकास के लिए जमीन की कमी होने की भी आशंका है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। यह बोर्ड लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा मोहनलालगंज तहसील के कल्ली पश्चिम में भागू खेड़ा के पास लगाया गया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के बोर्ड पर स्पष्ट लिखा है कि इसके आसपास पांच सौ मीटर के दायरे में किसी तरह के निर्माण प्रतिबंधित है।
बावजूद इसके बोर्ड के पीछे ही बाउंड्रीवाल नजर आ रही है। आउटर रिंग रोड की दूरी यहां से महज पचास मीटर है। इसी तरह पूरी 105 किलोमीटर के इर्दगिर्द धड़ल्ले से निर्माण हो रहे हैं।
सरकार से लेकर शासन तक से बार बार अनियोजित विकास रोकने के निर्देश जारी हो रहे हैं, बावजूद इसके जमीनी स्तर पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है। दैनिक जागरण ने मंगलवार को ही आउटर रिंग राेड के आसपास पड़ताल की तो मोहनलालगज से लेकर बख्शी का तालाब तक में रिंग रोड के आसपास प्लाटिंग नजर आई। जगह जगह पर रियल स्टेट कंपनियों और प्रापर्टी डीलरों के बोर्ड लगे नजर आए।
अधिकांश खेतों में या तो भवन बनकर खड़े हैं या बाउंड्रीवाल बन गई है। आउटर रिंग रोड के आसपास अतिक्रमण बढ़ने से सबसे अधिक असर एससीआर की उस परिकल्पना पर पड़ेगा जिसमें इसके आसपास वल्र्ड क्लास इंफ्रास्ट्रचर डवलप करने के दावे किए जा रहे हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने निर्माण पर प्रतिबंधित जरूर लगाया है लेकिन इसके लिए किसी तरह के प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं। दरअसल यहां पर भी एलडीए और जिला पंचायत के बीच सीमा विवाद है। आउटर रिंग रोड के आसपास कई गांव जिला पंचायत में भी आते हैं।
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एससीआर की जो परिकल्पना की गई है उसमें लखनऊ सहित छह जिलों के करीब 26 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सुनियोजित विकास करना है। शहरों के बीच हाई स्पीड इंटर कनेक्टिविटी और औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। मगर जिस तरह से शहर के बाहर भी लगातार अवैध प्लाटिंग से अनियोजित कालोनियां बसाई जा रही हैं।
उससे भविष्य में अहम प्रोजेक्ट को जमीन मिल पाएगी यह बड़ी चुनौती है। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष विकास खन्ना का कहना है कि हम लोग भी इस विषय अपनी चिंताओं से प्रशासन को अवगत करा चुके हैं।
रिंग रोड के आसपास सरकार को इंडस्ट्री के लिए लैंड को सुरक्षित रखना चाहिए ताकि भविष्य में दिक्कत नहीं हो। लेकिन जिस तरह से निर्माण हो रहा है उससे लगता है कि कुछ ही वर्षों में यहां जमीन ही नहीं बचेगी।
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