अगर फाइलों पर ये रंग लगा मिला तो नहीं होगी मामले की सुनवाई, हाई कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने रंगीन लार लगी छाप वाली फाइलें सामने आने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने रजिस्ट्री को ऐसी फाइलें पास न करने का निर्देश दिया। शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय को भी ऐसा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की पीठ ने यह आदेश कृश्णावती की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।

विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने रंगीन लार लगी छाप वाली फाइलें सामने आने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि लाल रंग की उंगली की छाप वाली ये फाइलें या तो पान खाने वाले या पान मसाला खाने वाले लोंगो द्वारा फाइलों के पन्ने छूने और पलटने से आई हुई हैं।
इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को निर्देष दिया है कि वह फाइलें पास करते समय यह सुनिश्चित करें कि ऐसी लार लगी फाइलें न पास की जायें।
साथ ही कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय केा आदेश दिया है कि वे भी ऐसा ही सुनिश्चित करें और इसके लिए जरूरी आदेश भी कर्मचारियेां के लिए जारी करें।
यह आदेश जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने कृश्णावती व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया है।
दरअसल, एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिका की पेपर बुक के पन्नों पर पेज पलटने की जगह पर लाल रंग के उंगलियों के ऐसे निशान हैं जो कि तब आते हैं जब कोई पान खाने वाला व्यक्ति पेज पलटने के लिए अपने मुंह की लार का प्रयोग करता। ऐसे में पान वाली लार उंगलियों पर लग जाती है और वहीं पेज पर निशान छोड़ देती है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा बहुत बार उसके सामने आ रहा है। केार्ट ने इस पर तंज कसते हुए आगे कहा कि यह बहुत ही गंदगी पूर्ण है कि जो कि न केवल घृणित है अपितु भत्र्सना येाग्य भी है।
कोर्ट ने कहा कि ये निशान या तो अधिवक्ताओं के मुंशियों या शासकीय अधिवक्ता अथवा मुख्य स्थायी अधिवक्ता दफ्तर या खुद उसकी रजिस्ट्री के लोंगो की हरकत हो सकती है।
कोर्ट ने कहा कि इस गंदी हरकत पर रोक लगाना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि लोंगो की ऐसी हरकत से न केवल उनकी गंदी भावना का पता चलता है बल्कि इससे उन पेजों केा छूने वाले को इंफेक्शन भी हो सकता है।
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