कबाड़ी को बेच दीं सरकारी स्कूल की दो क्विंटल किताबें, वीडियो वायरल होने के बाद मचा बवाल
नए वर्ष के बावजूद कई परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के पास सभी विषयों की किताबें नहीं हैं, जबकि अद्धवार्षिक परीक्षाएं हो चुकी हैं। कुछ बच्चों को ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, लखनऊ। नया वर्ष आने को है, लेकिन अभी तक कई परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के पास सारे विषयों की किताबें नहीं हैं। बच्चों की अद्धवार्षिक परीक्षाएं भी हो चुकी हैं। तीन से चार माह बाद वे अगली कक्षा में पहुंच जाएंगे। किताबों के वितरण की ऐसी स्थिति के बाद भी राजधानी में एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय भी है, जहां पुराने सत्र के साथ-साथ इस बार की किताबें भी एक कबाड़ी के हाथों बेच दी गईं। मामला नगराम के नेवाजखेड़ा प्राथमिक विद्यालय है। यहां के ग्रामीणों ने एक वीडियो इंटरनेट पर प्रसारित किया है। इसमें ठेलिया लेकर एक कबाड़ी स्कूल के बाहर निकलता दिख रहा है।
उसकी ठेलिया पर काफी सामान है। लोगों ने जब उस सामान की जांच की तो उसमें करीब दो क्विंटल किताबें निकलीं, जो प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए आई थीं। वीडियो के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि विद्यालय में मौजूद पाठ्यपुस्तकें, जो बच्चों को वितरित की जानी थीं, उन्हें कबाड़ के भाव बेच दिया गया। नियम के अनुसार, अनुपयोगी पुस्तकों के निस्तारण की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, लेकिन इस मामले में उस प्रक्रिया का ताख पर रख दिया गया।
सभी बच्चों को अब तक नहीं मिलीं कई किताबें
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय सिंह का कहना है कि अभी तक विद्यालयों में पूरी किताबें नहीं पहुंचीं। अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं भी हो गईं, इसके बावजूद अभी तक किताबें नहीं आईं। यदि नई किताबों की बिक्री की जा रही है तो यह शर्मनाक है। इस मामले की जांच होनी चाहिए।
ब्लाक संसाधन केंद्र पर वापस की जाती हैं किताबें
शिक्षकों के अनुसार, पिछले दो वर्षों से बच्चों की संख्या के अनुसार ही किताबें स्कूलों को दी जाती हैं। इसके बाद भी यदि किताबें बच जाएं तो उन्हें ब्लाक संसाधन केंद्र पर वापस कर दिया जाता है। इसके अलावा खंड शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर यदि किसी अन्य स्कूल को किताबों की आवश्यकता हो तो उन्हें दे दिया जाता है।
जो किताबें कबाड़ी को बेची गई हैं, उनमें नए सत्र की भी शामिल हैं। नियमानुसार पुस्तकों को बेचने का अधिकार किसी के पास नहीं है। अगर ऐसा किया जा रहा है तो यह दंडनीय है। विभागीय टीम मामले की जांच में जुटी है। जल्द ही रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई होगी। - सुशील कनौजिया, खंड शिक्षा अधिकारी, मोहनलालगंज

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