Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    लखनऊ का चौथा सबसे बड़ा पार्क बना राष्ट्र प्रेरणा स्थल, विवाह आदि आयोजन के लिए भी हो सकता है उपयोग

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:08 PM (IST)

    लखनऊ शहर को मिला चौथा सबसे बड़ा पार्क, जिसका नाम है राष्ट्र प्रेरणा स्थल। यह पार्क विवाह और अन्य आयोजनों के लिए भी उपलब्ध होगा। शहर के लोगों के लिए एक ...और पढ़ें

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। राजधानी में पार्कों व सुसज्जित स्थलों की लंबी श्रृंखला है। राष्ट्र प्रेरणा स्थल अब जनेश्वर मिश्र, लोहिया पार्क व अंबेडकर पार्क के बाद सबसे बड़ा पार्क हो गया है। खासकर चौक, ठाकुरगंज आदि पुराने लखनऊ वासियों के लिए यह बेहद उपयाेगी होगा। यहां के जागिंग ट्रैक पर टहल सकेंगे और मेडिटेशन, विपश्यना केंद्र व योग केंद्र आदि परिसर में बने हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजनीतिक दल इस परिसर में रैलियां आदि कर सकेंगे साथ ही एम्फी थियेटर का उपयोग नियमित अंतराल पर होने वाले सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी आसानी से हो सकेगा।

    संभव है कि एलडीए यहां पर विवाह आदि समारोह करने की भी अनुमति दे। उल्लेखनीय है कि जनेश्वर मिश्र पार्क, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान आदि में विवाह समारोह होते हैं। एलडीए ने इसे दो एजेंसियों के हवाले कर रही है, अनुरक्षण समिति जल्द ही बनेगी। फिलहाल प्रवेश के लिए टिकट आदि लगाने की अभी योजना नहीं है।

    बसंतकुंज योजना में कमल के फूल की आकृति में डिजाइन किया गया राष्ट्र प्रेरणा स्थल अब लोक के हवाले हो गया है। 6300 वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैले म्यूजियम में पूर्व पीएम अटल, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी व एकात्म मानववाद विचार के प्रणेता रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का भी जीवन संघर्ष देख व सुन सकते हैं।

    इसलिए खास है स्थल

    राष्ट्र प्रेरणा स्थल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना पर आधारित है। 65 एकड़ क्षेत्र में इसे राष्ट्रीय महत्व के एक भव्य स्मारक और प्रेरणादायी परिसर के रूप में 230 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है।

    इस परिसर में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65-65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमाएं स्थापित की गईं हैं, जो भारतीय राजनीतिक चिंतन, राष्ट्र निर्माण और सार्वजनिक जीवन में उनके ऐतिहासिक योगदान का प्रतीक हैं। ख्यात मूर्तिकार राम वी सुतार व मातू राम ने प्रतिमाएं गढ़ी हैं।

    परिसर में एक संग्रहालय भी है, जिसे कमल के आकार में डिजाइन किया गया है। यह संग्रहालय लगभग 98000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला है। यहां उन्नत डिजिटल तकनीक से भारत की यात्रा और इन दूरदर्शी नेताओं के योगदान को प्रदर्शित किया गया है।