UPPCL: सवा लाख का बिजली बिल माइनस 131 रुपये में पहुंचा, सालों की समस्या सात दिन में हो गई दूर; कैसे?
लखनऊ में बिजली विभाग की लापरवाही से एक उपभोक्ता का बिल 1.32 लाख रुपये तक पहुंच गया था। दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद अधिशासी अभियंता ने जांच कराई जिसमें बिल माइनस 131 रुपये निकला। उपभोक्ता कई सालों से बिल ठीक करवाने के लिए चक्कर काट रहा था। जांच में पता चला कि मीटर में सिर्फ 800 यूनिट बिजली खर्च हुई थी।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। बिजली विभाग का उपभोक्ता कई सालों से अपने बिजली बिल व मीटर को दुरुस्त करवाने के लिए कमता उपकेंद्र के चक्कर लगा रहा था। अवर अभियंता स्तर के लोग सुनवाई ही नहीं कर रहे थे।
बनारस में पुलिस विभाग में तैनात उपभोक्ता अंजनी कुमार राय कमता उपकेंद्र जाते और लौट आते। हर बार झूठा आश्वासन देकर अभियंता वापस कर देता। अंजनी भी दो दिन की छुट्टी पूरी होने के बाद बनारस वापस लौट जाते।
कई साल हो गए थे, उनका बिजली बिल बढ़ता गया और वह एक लाख 32 हजार के ऊपर पहुंच गया। उपभोक्ता ने दैनिक जागरण से संपर्क किया और दैनिक जागरण ने ''कागजों पर चढ़ा स्मार्ट मीटर घर पहुंचा एक लाख का बिल'' शीर्षक से खबर प्रकाशित की।
मीटर सेक्शन के अधिशासी अभियंता पवन वर्मा ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया। 17 जुलाई की छपी खबर को संज्ञान लेते उपभोक्ता का सीलिंग सर्टिफिकेट, मीटर रीडिंग की टीम भेजकर जांच कराई और वहीं बिल जो एक लाख 32 हजार रुपये था, वह जांच के बाद माइनस 131 रुपये में पहुंच गया।
उपभोक्ता का दावा था कि बिजली विभाग के नीचे के कर्मी उसकी बात नहीं सुन रहे हैं। हर बार यही कहकर टरका देते थे कि समस्या हल हो जाएगी। मीटर भी कागजों में बदल दिया गया था। बिजली विभाग ने मीटर की एमआरआइ कराई तो पता चला कि सिर्फ आठ सौ यूनिट बिजली ही चार सालों में खर्च हुई थी।
घर में एयर कंडिशन नहीं
बहुत ही छोटे घर में कभी-कभी आने वाले अंजनी ने बताया कि घर में एयर कंडिशन नहीं है, सिर्फ पंखा व ट्यूबलाइट है। इसलिए तीन से चार यूनिट तभी खर्च होती है जब छुट्टी पर लखनऊ आते हैं। जांच के बाद उपभोक्ता को सीलिंग सर्टिफिकेट भी मिल गया और बिल भी सही कर दिया गया। उपभोक्ता ने दैनिक जागरण के साथ ही अधिशासी अभियंता का आभार जताया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।