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    Revdi Politics: म‍िठास के ल‍िए मशहूर रेवड़ी के नाम से राजनीत‍ि में घुल रही बयानों की कड़वाहट, जान‍िए इसकी रेसिपी

    By Prabhapunj MishraEdited By:
    Updated: Sun, 24 Jul 2022 02:24 PM (IST)

    राजनीत‍ि में रेवड़ी शब्‍द का बयानबाजी के ल‍िए नेता अपने-अपने ह‍िसाब से प्रयोग कर रहे हैं पर रेवड़ी मुंह मीठा करने के ल‍िए मशहूर है न क‍ि सि‍यासत के चमकाने के ल‍िए। कुछ द‍िनों से रेवड़ी शब्‍द चर्चा में भी है। हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

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    लखनऊ के रेवड़ी दूर दूर तक है मशहूर

    लखनऊ, जेएनएन। देश में प‍िछले एक सप्‍ताह से रेवड़ी शब्‍द सुर्ख‍िंयों में है। कोई रेवड़ी को फ्री में म‍िलने वाला प्रसाद बता रहा है तो क‍िसी ने रेवड़ी की तरह मुफ्त चीजें देने पर हमला बोला। रेवड़ी कल्‍चर को देश के व‍िकास के ल‍िए घातक बताया। रेवड़ी को पाप और पुण्‍य के तराजू में भी तौला जा रहा है। हालांक‍ि मुंह में म‍िठास घोल देने वाली रेवड़ी अब राजनीत‍ि का मोहरा बनती नजर आ रही है।

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    रेवड़ी पर राजनीति‍क बयानबाजी अपने चरम पर है। आम लोग रेवड़ी का प्रयोग मुंह का स्‍वाद बदलने के ल‍िए करते हैं। हम आपको रेवड़ी का इति‍हास बताने जा रहे हैं। वैसे अगर आपको पता न हो तो जानकारी के ल‍िए बता देते हैं क‍ि लखनऊ की रेवड़ी सबसे अध‍िक स्‍वाद‍िष्‍ट और मशहूर हैं। हरि‍याण में रेवाड़ी नाम से एक ऐतिहासिक शहर भी है। यहां की रेवड़ियांं भी बहुत मशहूर हैं।

    लखनऊ की रेवड़ी आसपास ही नहीं, दूर-दूर तक अपने स्‍वाद का जलवा बिखेरती हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही 'रेवड़ी-रेवड़ी, खुशबूदार, जायकेदार रेवड़ी, लखनऊ की मशहूर रेवड़ी' की गूंज सुनाई देने लगती है। ज‍िससे मुंह में पानी आ जाता है। स्‍वाद खुद ब खुद मुंह में घुलने लगता है। जो लोग म‍िठाई के शौकीन नहीं हैं वो भी इस स्‍वाद को अपनी जुबान पर चखने के ल‍िए मजबूर हो जाते हैं।

    तिल और गुड़ से बनने वाली यह मिठाई करीब चार-पांच हजार वर्ष पुरानी है। यह संसार की सबसे पुरानी मिठाइयों में से एक है। गुजरात के कच्छ जिले में पुरातत्व विद्वानों ने जो हड़प्पा कालीन स्थल खोजा था। वहां पर भी तिल मिले हैं और गुड़ के अवशेष भी मिले हैं। प्राचीन भारत में तिलोदन (तिलों की खीर) का उल्लेख भी मिलता है और राजस्थान-मध्यप्रदेश-गुजरात के आदिवासी इलाकों में आज भी आदिवासी और किसान लोग सर्दियों में तिल गुड़ और घी का बना पकवान खाते हैं। इस पकवान का नाम भी तिलकुटी है। यह तिलकुटी राजस्थान में गुजरात सरहद से लेकर भीलवाड़ा-अजमेर की अरावली पहाड़ी के गांवों-कस्बों तक आज भी खाया जाता है।

    कारीगर कैसे बनते हैं रेवड़ी

    • रेवड़ी बनाने वाले कारीगरों के अनुसार, पहले गुड़ को भट्टी पर तेज आंच में पकाया जाता है।
    • गुड़ की चासनी बनाते समय उसमें घी मिलाया जाता है। चासनी जब पककर तैयार हो जाती है तो उसे ठंडा किया जाता है।
    • ऐसे में ठंडी चासनी को इकट्ठा कर उसे फिर मथने का कार्य किया जाता है।
    • चासनी को जितना मथा जाता है उसका स्‍वाद उतना ही बढ़ता है। ठंडी होने के बाद चासनी रबड़ की तरह खिंचती है।

    लखनऊ में इन जगहों पर म‍िलती है स्‍वाद‍िष्‍ट रेवड़ी: चारबाग स्थित गुरुनानक मार्केट, राजा बाजार व मौलवीगंज में रेवड़ी के कारखाने हैं। इसके अलावा अमीनाबाद, फतेहगंज, गणेशगंज, चौक, चौपटिया, निशातगंज बाजार, मूंगफली मंडी, शहर के लगभग सभी रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों सहित माल में भी खूबसूरत पैकिंग के साथ रेवड़ी मिलती है।

    आप घर पर भी बना सकते हैं रेवड़ी

    • रेवड़ी तैयार करने के लिए सबसे पहले एक पैन पानी और चीनी डालकर गैस पर रख दें।जब चीनी घुल जाए तो उसमें कार्न सिरप डाल दें, घोल गाढ़ा हो जाएगा।
    • अगर आप कार्न सिरप नहीं ट्राई करना चाहते तो एक तार की चाशनी तैयार कर लें।
    • कार्न सिरप डालने के बाद घोल को लगातार हिलाते रहें।
    • जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो उसमें केवड़ा एसेंस डाल दें।
    • जब मिश्रण और थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो उसमें तिल डालकर अच्छे से मिक्स करें।
    • तिल के मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने के बाद बेकिंग मैट या फिर बटर पेपर पर फैला दें।
    • जब घोल थोड़ा ठंडा होकर सूख जाए तो इसे हाथ के साथ थोड़ा तोड़कर मन मर्जी के साइज की रेवड़ियां तैयार करें।
    • अगर आप गुड़ वाली रेवड़ी खाना पसंद करते हैं तो चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करें।