Lucknow News: निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने किया प्रदर्शन, देशभर में कर्मचारियों ने जताया विरोध
लखनऊ प्रदेश के 42 जिलों में बिजली निजीकरण के विरोध में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय का विरोध किया जा रहा है। बिजली कर्मियों ने पावर कारपोरेशन पर निजी घरानों से मिलीभगत का आरोप लगाया। उपभोक्ता परिषद ने सीबीआई जांच की मांग की और सरकार से जल्दबाजी न करने की अपील की।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के 42 जिलों में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर बुधवार को देश के सभी राज्यों में बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओ ने प्रदर्शन किया। अब नौ जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़ों देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है।
इसके विरोध में बिजली कर्मी सात माह से आंदोलन कर रहे हैं। आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन और शासन के कुछ बड़े अधिकारियों की कुछ चुनिंदा निजी घरानों के साथ मिलीभगत है। वे लाखों करोड़ रुपये की बिजली की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल निजी घरानों को बेचना चाहते हैं। दावा किया गया कि बुधवार के प्रदर्शन में देशभर में 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने जिलों और परियोजनाओं पर भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन किया।
लखनऊ के साथ हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, रायपुर, भोपाल, वडोदरा, गुवाहाटी, शिलांग, कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना, रांची, श्रीनगर, जम्मू आदि में भी प्रदर्शन किए गए। कर्मचारियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
उपभोक्ता परिषद ने की सीबीआई जांच की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने निजीकरण की प्रक्रिया के लिए मानक पर निकाली गई रिजर्व बिड प्राइस के मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है। उन्हाेंने कहा कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल के 42 जनपदों को तोड़कर बनने वाली पांच नई बिजली कंपनियां गोरखपुर, प्रयागराज, काशी, कानपुर, झांसी, आगरा व मथुरा की कुल मिनिमम रिजर्व बिड प्राइस लगभग 6500 से 6800 करोड़ रुपये आंकी गई। इस राशि को तय करने के लिए जो आधार लिया गया, उस आधार पर पूरे देश में कहीं भी निजीकरण नहीं हुआ।
आरोप लगाया है कि देश के बड़े निजी घरानों को लगभग रुपया 3500 करोड़ रुपये का लाभ देने की तैयारी की गई है। सरकार से मांग की है कि इस मामले में जल्दबाजी न दिखाई जाए, क्योंकि पावर कारपोरेशन जल्द से जल्द पुनः इस पर एनर्जी टास्क फोर्स से मोहर लगवाना चाहता है।
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