Lucknow Mosque Case: गजेटियर और आर्कियोलाजी सर्वे की रिपोर्ट में दर्ज है लक्ष्मण टीला, यह है पूरा मामला
वाद पत्र में कहा गया है कि मुसलमानों की मस्जिद वक्फ की संपति पर बनाई जाती है। लिहाजा इस पूरे परिसर को उक्त हिंदू देवताओं का स्थान घोषित किया जाए। मस्जिद को हटाया जाए। इसका कब्जा वादीगणों को दिलाया जाए। वादीगणों को पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए

लखनऊ, विधि संवाददाता। अदालत में हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल वाद पत्र के मुताबिक सनातन काल में भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को लक्ष्मणपुरी बसाने का निर्देश दिया था। लक्ष्मण ने गोमती के किनारे लक्ष्मणपुरी बनाई और एक टीले पर शिवलिंग की स्थापना कराई। जिसे बाद में शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव कहा गया। यह पूरा स्थान लक्ष्मण टीले के नाम से पहचाना गया। यह चौक में नजूल के खसरा नंबर- 14 पर स्थित है। इस पर हिंदू अंनतकाल से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। लक्ष्मण टीले पर शेषनाग पटल कूप एवं शेषावतार कूप भी था।
औरंगजेब के समय में लक्ष्मण टीले का विध्वंस कर दिया गया। इस्लामिक सिद्धांतों को दरकिनार करते हुए वहां एक मस्जिद बनाई गई। जिसे टीलेवाली मस्जिद कहा गया। खसरा नंबर- 14 पर शेषनाग पटल कूप, शेषनाग टीलेश्वर महादेव और पुराने मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि वहां लक्ष्मण ने एक किले का निर्माण भी कराया था। जिसे लक्ष्मण किला के नाम से जाना गया और जिसे गढ़मत्स्य भवन (मछली भवन) भी कहते हैं। लक्ष्मण टीले के पश्चिम में कौटिल्य ऋषि का आश्रम था। जिसे कौटिल्य घाट कहते थे।
घाट और लक्ष्मण टीले के बीच में ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर है। वाद पत्र के मुताबिक 1886 में पहली चकबंदी के समय यह विवादित स्थान राजस्व अभिलेखों में आबादी मछली भवन चौक के नाम पर दर्ज है। 1877 के प्राविंस आफ अवध और 1904 के गजेटियर आफ लखनऊ व तमाम ऐतिहासिक पुस्तकों तथा आर्कियोलॉजी सर्वे की रिपोर्टो में भी इस स्थान को लक्ष्मण टीला के नाम से संबोधित किया गया है।
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लक्ष्मणजी शेषनाग के अवतार थे। वहां पर शेषनाग विहार नाम से एक गहरा छेद है। जिसकी हिंदू अनंतकाल से पूजा करते हैं और मान्यता है कि वह सीधे पाताल लोक को जोड़ता है। कहा गया कि यदि आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया या किसी अन्य एजेंसी से अदालत द्वारा वहां खोदाई कराई जाए तो यह साबित हो जाएगा कि टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीले पर स्थित मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है।
वाद पत्र में कहा गया है कि पांच जून, 2001 को वहां जो बचा-खुचा खंडहर था, उसे भी मस्जिद के इमाम ने विध्वंस करा दिया। मस्जिद परिसर की दीवार के बाहर जहां हिंदू लोग पूजा-अर्चना करते चले आ रहे हैं, वहां भी कब्जा करने की कोशिश की गई। जिसकी प्राथमिकी दर्ज है और कानूनी कार्यवाही चल रही है। किसी धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाई गई मस्जिद इस्लामिक सिद्धांतों के खिलाफ है।
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