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    अदालत में शर्ट के बटन खोलकर पहुंचा वकील… जजों को कह दिया गुंडा, हाई कोर्ट ने दी सजा और ठोक दिया जुर्माना

    Updated: Fri, 11 Apr 2025 01:02 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अधिवक्ता अशोक पांडे को अदालती अवमानना के मामले में दोषी करार देते हुए छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है और दो हजार रुपये जुर्माना लगाया है। पांडे पर आरोप था कि उन्होंने अदालती कार्यवाही के दौरान पोडियम तक बिना अधिवक्ता की ड्रेस पहने आ गए और जजों को गुंडों की संज्ञा दे दी।

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    हाई कोर्ट ने वकील अशोक पांडे को अवमानना में सुनाई छह माह की सजा।

    विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को अधिवक्ता अशोक पांडे को अदालती अवमानना के मामले में दोषी करार देते हुए छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। 

    कोर्ट ने दो हजार रुपये जुर्माना भी लगाया और चेतावनी दी कि यदि यह रकम एक महीने में नहीं जमा की तो एक महीने और जेल में बिताना होगा। कोर्ट ने कहा कि पांडे चार सप्ताह के भीतर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ की कोर्ट में आत्मसमर्पण करें और जेल जाकर सजा काटें।

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    यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस बीआर सिंह की पीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर पांडे के खिलाफ 2021 में दर्ज एक आपराधिक अवमानना के केस पर फैसला सुनाते हुए पारित किया है। 

    कोर्ट ने पांडे को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट और लखनऊ खंडपीठ में अगले तीन साल तक वकालत का व्यवसाय करने से प्रतिबंधित कर दिया जाए। कोर्ट ने पांडे को इस पर अपना पक्ष रखने के लिए एक मई तक का समय दिया है।

    यह है पूरा मामला

    दरअसल, कोर्ट ने 18 अगस्त 2021 को इस मामले में पांडे के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना का केस दर्ज किया था। कोर्ट ने आरोप तय करते हुए कहा था कि वह अदालती कार्यवाही के दौरान पोडियम तक बिना अधिवक्ता की ड्रेस पहने आ गए और उनकी शर्ट के बटन भी खुले थे। 

    मना करने पर उन्होंने अवमानना जनक कार्य किया। जब कोर्ट से बाहर करने को कहा गया तो उन्होंने जजों को गुंडों की संज्ञा दे डाली। पांडे के कृत्य से अदालत की गरिमा तार-तार हुई और इसका उनको कोई पछतावा भी नहीं है।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पांडे को बार-बार अपना जवाब दाखिल करने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने आरोपों के खिलाफ कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि पांडे के खिलाफ अवमानना के कई मामले दर्ज हुए और चल रहे हैं। 

    कोर्ट ने पाया कि 2017 में अवमानना के मामले में पांडे को दोषी करार देकर इलाहाबाद हाई कोर्ट और इसकी लखनऊ खंडपीठ में दो साल तक प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई थी। इतना सब होने के बाद भी पांडे के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और न ही उन्हें अपने आचरण पर पछतावा हो रहा है।

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