54 लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति में गड़बड़ी की होगी जांच, उपलब्ध कराए गये नाम
लखनऊ में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन में कार्यरत 54 लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति पर जांच होगी। आयुक्त राजेश कुमार ने शासन को पत्र लिखकर 2001 और 2007 की भर्तियों में धांधली की आशंका जताई है। संदेह है कि सीमित आवेदन लेकर रिश्तेदारों को नौकरी दी गई। जाँच में कई लैब टेक्नीशियन के दस्तावेज़ भी गायब मिले हैं जिससे भर्तियों में गड़बड़ी की आशंका और बढ़ गई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) में कार्यरत 54 लैब टेक्नीशियनों की नियुक्ति की जांच होगी। तत्कालीन आयुक्त राजेश कुमार ने शासन को इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने आंशका जताई है कि चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशालय की वर्ष 2001 और वर्ष 2007 में हुई 572 लैब टेक्नीशियन की भर्ती में धांधली की गई है।
इस भर्ती में सीमित आवेदन लेकर स्वजनों की नियुक्ति दी गई। पत्र में संदेह के दायरे में आए लैब टेक्नीशियनों के नाम भी उपलब्ध कराए गए हैं।
आयुक्त ने पत्र में लिखा है कि एफएसडीए में कार्यरत 54 लैब टेक्नीशियनों में से सात ने 10 वर्ष और 16 वर्ष की सेवा पूरी होने पर सुनिश्चित आजीविका प्रगति (एसीपी) का लाभ देने की मांग की थी। जांच में पाया कि इन लैब टेक्नीशियन के नियुक्ति, शैक्षिक, स्थायीकरण प्रमाण पत्र एफएसडीए में नहीं हैं।
इन सभी के प्रमाण पत्र उनके मूल विभाग चिकित्सा स्वास्थ्य में है। इसलिए इनके प्रमाण पत्र सातों लैब टेक्नीशियन के आवेदन पत्र, साक्षात्कार और चयन की जांच की जाए।
इसके अलावा, 12 सितंबर 2007 में जारी विज्ञापन के माध्यम से हुई भर्ती में भी गड़बड़ी की शिकायत की गई है। इसमें 35 अभ्यर्थियों के चयन पर संदेह व्यक्त किया गया है।
पत्र के अनुसार एक ही परिवार के एक से अधिक अभ्यर्थियों का चयन इस भर्ती में किया गया। उनके रोल नंबर भी एक ही क्रम में हैं।
इसके अलावा, 12 ऐसे लैब टेक्नीशियन चिन्हित किए गए हैं, जिनका परिवार और गृह जिला एक ही है। यही नहीं लखनऊ से 56, प्रयागराज से 41, बस्ती से 38, हरदोई से 27, आजमगढ़, देवरिया से 25-25, बलिया से 23, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर से 21-21, गोरखपुर, कुशीनगर से 15-15 लैब टेक्नीशियन चुने जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं।
वर्तमान में महानिदेशक पर्यटन राजेश कुमार का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच गड़बड़ियां मिली हैं। इसी आधार पर प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को पत्र लिखा गया है।
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