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    भारत-पाक 1965 के युद्ध की याद द‍िलाता लखनऊ का एक चौक, यहीं खड़ी है शहीद अब्दुल हमीद की माउंटेड जीप

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 10 Sep 2022 09:39 AM (IST)

    UP News 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी सैन‍िकों पर कहर बनकर टूट पड़े थे। अब्‍दुल हमीद कई टैंकों के परखच्चे उड़ाने के बाद शहीद हो गए थे। राजधानी लखनऊ में उन्‍हीं के नाम पर वीर अब्‍दुल हमीद चौक बनाया गया है।

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    Indo Pak War: 10 सितंबर 1965 को बलिदानी हुए थे क्वार्टर मास्टर अब्दुल हमीद।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। सन 1965 के Indo Pak War भारत-पाक युद्ध में जांबाजों ने खेमकरन में दुश्मन के टैंकों की कब्रगाह बना दी थी। जिस माउंटेड जीप से ग्रेनेडियर कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार Abdul Hameed अब्दुल हमीद ने दुश्मनाें के टैंकों को उड़ा दिया था, वह माउंटेड जीप आज भी उस विजयगाथा की याद दिलाती है।

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    माल एवेन्यू स्थित आवास विकास ओवरब्रिज से छावनी की ओर उतरते ही पहला चौराहा अब्दुल हमीद चौक है। जो कि वीरता का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र विजेता क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद की वीरता की याद दिलाता है। अब्दुल हमीद 10 सितंबर को खेमकरन में दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नेस्तेनाबूत करते हुए बलिदानी हो गए थे।

    उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में एक जुलाई 1933 को जन्मे अब्दुल हमीद सेना की चार ग्रेनेडियर में दिसंबर 1954 में भर्ती हुए थे। सन 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय उनकी चार ग्रेनेडियर की तैनाती खेमकरन सेक्टर में की गई। क्वार्टर मास्टर अब्दुल हमीद ने अपनी माउंटेड जीप पर सवार होकर चार पाकिस्तानी टैंकों को उड़ा दिया था। वीरता से पाकिस्तानी की आर्म्ड रेजीमेंट का सामना करते हुए भीषण गोलीबारी में अब्दुल हमीद बलिदानी हो गए थे। उनको वीरता का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र मरणोपरांत दिया गया था।

    तीन दिसंबर 1993 को परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की याद में लखनऊ छावनी में एक पार्क का लोकार्पण किया गया। इस पार्क का लोकार्पण तत्कालीन मध्य कमान सेनाध्यक्ष और कर्नल आफ द ग्रेनेडियर्स ले. जनरल वाइएन शर्मा ने एंटी टैंक गन और माउंटेड जीप के साथ किया। साथ ही चौराहे पर वीर अब्दुल हमीद की प्रतिमा भी लगायी गयी है। इस पार्क का रखरखाव छावनी परिषद प्रशासन की ओर से किया जाता है। इस चौराहे पर एनसीसी कैडेट अब्दुल हमीद के बलिदानी दिवस और जयंती पर उनको याद किया जाता है।

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