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    याेगी आदित्यनाथ सरकार का विद्यार्थियाें में माेबाइल की लत कम करने का प्रयास, अखबार से करा रही दोस्ती

    By Ajay Jaiswal Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 07:53 PM (IST)

    Initiative of Yogi Adityanath Government For Students: जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों को शासनादेश ज ...और पढ़ें

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    लखनऊ नगर निगम के डिग्री कालेज में समाचार पत्र पढ़ते छात्र-छात्राएं(फाइल फाेटाे)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: अगर आपको किसी स्कूल की प्रार्थना सभा में बच्चे अखबार पढ़कर सुनाते और पांच नए शब्दों का अर्थ समझाते नजर आएं तो चौंकिएगा मत। शासन ने मोबाइल में डूबते किशोर मन को अखबारों के माध्यम से उबारकर विज्ञान, संस्कृति, इतिहास समेत अन्य विषयों से जोड़ने की बड़ी पहल की है।

    माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों को शासनादेश जारी कर स्कूलों में रोजाना अखबार पढ़ना, ग्रुप डिस्कशन और समाचारों की कटिंग रखना अनिवार्य किया गया है।

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    इस बहाने छात्रों में पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ने से उन्हें न सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद मिलेगी, बल्कि भाषा पर पकड़ होने से वो वाद विवाद प्रतियोगिताओं और संभाषण में भी निपुण बनेंगे। अखबार के जरिए छात्रों की विज्ञान, संस्कृति और खेल की भी जानकारी बढ़ेगी।

    शासनादेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि बच्चों की स्क्रीन टाइम बढ़ने से जहां उनकी किताबों के प्रति रुचि कम हुई है, वहीं एकाग्रता और भावनात्मकता में भी गिरावट है। ऐसे में स्कूलों में अखबारों को नियमित पाठ्यक्रम में शामिल कर उनमें पढ़ने के प्रति ललक जगाने का प्रयास होगा।

    देश दुनिया के प्रति छात्रों की जानकारी बढ़ेगी, वहीं नए शब्दों से परिचित होने से संवाद बेहतर होगा। अखबारों में छपी संवेदनात्मक कहानियों से छात्र प्रेरित होंगे। पहेलियों के माध्यम से छात्रों की तर्क शक्ति सुधरेगी। इसलिए अब कक्षा छह से 12 तक के स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों की उपलब्धता अनिवार्य की गई है।

    अपर मुख्य सचिव के निर्देशों व सुझाव संबंधी शासनादेश में कहा है कि अखबारों से सीखकर छात्र अपने स्कूलों या कॉलेजों की पत्रिका तैयार करेंगे। अखबार में छपे किसी संपादकीय आलेख पर सप्ताह में एक दिन कक्षा में ग्रुप डिस्कशन होगा।

    शनिवार या सप्ताह में किसी एक दिन कक्षा में अखबार में प्रकाशित सुडोकू, वर्ग पहेली आदि को लेकर ज्ञानवर्धक क्विज आयोजित करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। कक्षा छह से आठ तक छात्रों को विज्ञान, पर्यावरण और खेल के समाचारों की कटिंग से एक स्क्रैपबुक तैयार करने के लिए प्रेरित करने को भी कहा गया है।

    छात्रों में कर्तव्यबोध विकसित करने के लिए उन्हें विकासपरक स्थानीय खबरों से जोड़ा जाएगा।कहा गया है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित स्थानीय समस्याओं और विकास कार्यों से जुड़ी खबरों को पढ़ने और उन पर चर्चा करने के लिए विद्याथियों को प्रोत्साहित किया जाए। इससे उनका अपने समुदाय और परिवेश से जुड़ाव मजबूत होगा एवं भविष्य में वे अपने समाज में एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकेंगे।

    'कठिन शब्दों को जानेंगे तो स्वत: बढ़ेगी पढ़ने की रुचि'

    स्कूली छात्रों को अखबारों के माध्यम से किताबों के नजदीक ले जाने की विशेष पहल करने वाले माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि छात्रों को कठिन शब्दों से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उसका अर्थ जानकर भाषा ज्ञान से विस्तार देने से पढ़ने की अभिरुचि बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हमारे सीनियर अखबारों की संपादकीय पढ़ने एवं कठनि शब्दों के लिए डिक्शनरी देखने की सीख देते थे, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बड़ी मदद मिली।

    अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नई पीढ़ी को डिजिटल और सोशल मीडिया के दौर में संतुलन बनाकर चलना होगा। मोबाइल के बढ़ते प्रयोग को आंखों के लिए घातक बताते हुए आगाह किया कि इससे एकाग्रता और धैर्य में भी कमी आई है। कहा कि अखबारों को भी भाषा और तथ्य की गुणवत्ता बनाकर रखना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी पढ़ने के लिए प्रेरित होती रहे। कहा कि पढ़ना आवश्यक है। यह बाद की बात है कि आप पत्रिका, अखबार या किताब में किसे वरीयता देते हैं।