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    टॉयलेट में पांच मिनट फंसी छात्रा अभिभावक ने बताया 45 मिनट

    By amal chowdhuryEdited By:
    Updated: Fri, 15 Sep 2017 09:23 AM (IST)

    सीसीटीवी कैमरे की जो फुटेज जारी की गई है उसमें महज पांच मिनट के अंदर ही छात्रा टॉयलेट से बाहर निकलती दिखाई दी है। ...और पढ़ें

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    टॉयलेट में पांच मिनट फंसी छात्रा अभिभावक ने बताया 45 मिनट

    लखनऊ (जागरण संवाददाता)। लखनऊ के एक निजी स्कूल के अभिभावक ने आरोप लगाया है कि उसकी कक्षा पांच में पढ़ने वाली बेटी स्कूल के टॉयलेट में करीब 45 मिनट तक फंसी रही। यही नहीं वह दम घुटने से बेसुध हो गई।

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    उधर, स्कूल प्रशासन की तरफ से जो सीसीटीवी फुटेज जारी किए गए हैं, उसमें छात्रा केवल पांच मिनट (दोपहर 03:08 से 03:13 तक) के अंदर ही बाथरूम से बाहर निकलती दिखाई दे रही है। स्कूल प्रबंधन ने आरोप लगाया कि फीस न जमा करनी पड़े, इसलिए यह कहानी गढ़ी गई।

    मामला, रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल सीनियर सेकेंड्री स्कूल की विकास नगर सेक्टर तीन शाखा का है। यहां पांचवी कक्षा की एक छात्र के पिता संजय कुमार राय ने आरोप लगाया है कि बुधवार को दोपहर करीब तीन बजे उनकी बेटी टॉयलेट करने गई तो सिटकनी खराब होने के कारण अंदर फंस गई।

    करीब 45 मिनट तक वह अंदर से चीखती चिल्लाती रही और इसके बाद किसी तरह गार्ड ने उसे बाहर निकाला। इस दौरान छात्र बेहोशी की स्थिति में पहुंच गई और अभिभावकों को सूचना नहीं दी गई। अभिभावक के इस आरोप को स्कूल प्रबंधन ने तमाम तथ्य जारी कर आधारहीन बताया है।

    स्कूल प्रबंधक बोले, पांच मिनट में निकाल लिया: स्कूल के प्रबंधक जयपाल सिंह ने बाथरूम के बाहर बरामदे में लगे सीसीटीवी कैमरे की जो फुटेज जारी की है, उसमें महज पांच मिनट के अंदर ही छात्रा टॉयलेट से बाहर निकलती दिखाई दी है। स्कूल प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि टॉयलेट के दरवाजे की सिटकनी फंस गई थी। फुटेज में बाथरूम के दरवाजे पर छात्राओं का झुंड दिख रहा है। दरवाजा खोलने गया गार्ड भी आते-जाते दिख रहा है। बाद में छात्रा अकेले जाती दिख रही है। ऐसे में 45 मिनट तक फंसे रहने का आरोप निराधार है।

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    स्कूल ने लगाया फीस जमा नहीं करने का आरोप: प्रबंधक ने कहा कि अभिभावक ने इस सत्र में जून, जुलाई, अगस्त व सितंबर की फीस नहीं जमा की है। इनकी दूसरी बेटी भी स्कूल की अन्य शाखा में है और उसकी भी फीस नहीं जमा हुई है। पिछले वर्ष भी सात महीने की फीस बकाया थी, जिसमें से कुछ फीस रिजल्ट रोकने की स्थिति में दी गई थी। ऐसे में यह कहानी सिर्फ स्कूल पर दबाव बनाकर फीस माफ कराने के लिए ही गढ़ी गई है।

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