Ganga Expressway : एआइ व सेंसर तकनीकी से हो रहा है गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण, गुणवत्ता में मिल रही मदद
Ganga Expressway राज्य सरकार ने पश्चिमी व पूर्वी उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए वर्ष 2022 में गंगा एक्सप्रेस वे की परियोजना पर काम ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊः Ganga ExpressWay -उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) गंगा एक्सप्रेसवे को विश्वस्तरीय बनाने के लिए एआइ और सेंसर आधारित तकनीकी का इस्तेमाल कर रहा है। इस तकनीकी के इस्तेमाल से एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता व समतल सतह के निर्माण में मदद मिल रही है।
यह तकनीक निर्माण के दौरान ही कमियों को पकड़ने में सक्षम है। इसके लिए सरकार ने स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख की ईटीएच यूनिवर्सिटी और आरटीडीटी लैबोरेट्रीज एजी के साथ करार किया है।
यूपीडा के एसीईओ हरि प्रताप शाही ने बताया कि 594 किलोमीटर का गंगा एक्सप्रेसवे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे है। यह एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक 12 जिलों को जोड़ेगा। भविष्य में इसे बलिया तक विस्तारित किया जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता और वाहन चलाने में आराम को सुनिश्चित करने के लिए स्विस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
इसके तहत वायब्रेशन तकनीकी और सात एक्सेलेरोमीटर सेंसर युक्त इनोवा कार से सभी छह लेन की जांच की जा रही है। इसकी मदद से एक्सप्रेसवे की सतह, ड्राईविंग में सुविधा और उतार-चढ़ाव का डाटा एकत्र किया जाता है, जिसे आनलाइन ग्राफ के रूप में देखा जा सकता है। इससे तुरंत यह पता चल जाता है कि एक्सप्रेसवे का कौन सा हिस्सा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है।
उन्होंने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे पर इस तकनीकी के इस्तेमाल के बाद इसे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर भी इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है। 91.35 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा।

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