राजा महमूदाबाद के पास कहां से आईं थीं संपत्तियां? हलवासिया बिल्डिंग समेत दूसरी प्रॉपर्टी की जांच शुरू
लखनऊ के हजरतगंज में हलवासिया बिल्डिंग और लारी सहित अन्य संपत्तियों की पैमाइश के साथ-साथ यह जानने की कोशिश की जा रही है कि राजा महमूदाबाद के पास ये संपत्तियां कहां से आईं। शत्रु अभिकरण कार्यालय रजिस्ट्रार और अन्य संबंधित कार्यालयों से दस्तावेज मांगे गए हैं। एलडीए और प्रशासन की पैमाइश में अब तक दोनों ही संपत्तियों में लीज अनुबंध से अधिक कब्जा पाया गया है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। हजरतगंज में हलवासिया बिल्डिंग और लारी सहित दूसरे संपत्तियों की पैमाइश के साथ ही इस बात की भी जांच शुरू हो गई है कि राजा महमूदाबाद के पास आखिर यह संपत्तियां कहां से आई?
लीज अनुबंधों की जांच के दौरान सामने आया है कि राजा ने किराएदारों को लीज पर दिया, लेकिन उनके पास जमीनें कहां से आई थीं, इसका उल्लेख नहीं मिल रहा है।
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिनको राजा ने लीज पर दीं, लेकिन वह नजूल संपत्ति के रूप में दर्ज थीं। यही वजह है कि पैमाइश के साथ ही शत्रु अभिकरण कार्यालय रजिस्ट्रार और दूसरे संबंधित कार्यालयों से इससे संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं।
पैमाइश और डीड चेन का मिलना बेहद जरूरी
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह जानना जरूरी है कि जिन संपत्तियों को लेकर बात हो रही है आखिर उनके पास कहां से और कितनी आईं। एलडीए और प्रशासन की पैमाइश में अब तक दोनों ही संपत्तियों में लीज अनुबंध से अधिक कब्जा पाया गया है। इसलिए प्रत्येक जमीन की गाटा संख्या सहित पैमाइश और डीड चेन का मिलना बेहद जरूरी है।
गौरतलब है कि लखनऊ में करीब दो सौ शत्रु संपत्तियां चिह्नित हैं, इसमें 125 से ज्यादा शत्रु संपत्तियां अकेले सदर तहसील में हैं। इसके अलावा मलिहाबाद में नौ, 29 मोहनलालगंज और शेष बीकेटी व सरोजनी नगर तहसील क्षेत्र में हैं।
इनमें रहने वाले किराएदारों का कहना है कि उन लोगों ने संपत्तियां राजा से 99 साल की लीज पर ली हैं, लेकिन गृह मंत्रालय के पोर्टल पर दस्तावेज प्रस्तुत करने से कतरा रहे हैं।
राजा महमूदाबाद की 980 संपत्तियां भी शामिल
गौरतलब है देशभर में साढ़े बारह हजार से अधिक शत्रु संपत्तियां घोषित कर सरकार अपनी कस्टडी में ले चुकी है, जिनमें राजा महमूदाबाद की 980 संपत्तियां भी शामिल हैं।
राजा महमूदाबाद की जमींदारी लखनऊ सीतापुर, लखीमपुर सहित कई जिलों में थी। आजादी के बाद राजा महमूदाबाद अमीर अहमद खान इराक चले गए और वहां से 1957 में पाकिस्तान जाकर बस गए। इसके बाद वह लंदन गए जहां उनकी मौत हो गई।
राजा के निधन के बाद उनके बेटे लंदन से 1975 में वापस भारत और संपत्तियां पर कब्जे के लिए अपना दावा ठोंका। शत्रु संबंधी अध्यादेश पारित होने के बाद सरकार ने सभी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया।
क्या है शत्रु संपत्तियां?
1947 से 1962 के बीच पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की यहां छूट गई संपत्तियों को शत्रु संपत्ति माना गया। सरकार ने शत्रु संपत्तियों को गृह मंत्रालय के अधीन शत्रु संपत्ति संरक्षक को सौंप दिया।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम को 1968 में लागू किया गया था, जो ऐसी संपत्तियों को विनियमित करता है और इसमें संरक्षक की शक्तियां भी बताई गईं।
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