सचिन तेंदुलकर से लेकर बेल्जियम की महारानी तक... दिग्गजों ने सीखा 'अयंगर योग', जानें साधारण योग से कैसे है अलग?
भारत की धरती से निकला योग आज हर देश हर शहर में विकसित होता नजर आ रहा है। योग विद्या को आगे बढ़ाने और उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने में भारत के योग गुरुओं व संतों का विशेष योगदान रहा है। इस मौके पर जानते हैं भारत में जन्म लेने वाले एक ऐसे ही योग गुरु के बारे में जिन्होंने अयंगर योग की रचना की है।

जागरण ऑनलाइन डेस्क: आज 21 जून को भारत समेत विश्वभर में 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' के अवसर पर योग साधना की लहर देखी जा रही है। भारत की धरती से निकला योग आज हर देश, हर शहर में विकसित होता नजर आ रहा है। योग विद्या को आगे बढ़ाने और उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने में भारत के योग गुरुओं व संतों का विशेष योगदान रहा है। इस मौके पर जानते हैं भारत में जन्म लेने वाले एक ऐसे ही योग गुरु के बारे में जिन्होंने 'अयंगर योग' की रचना की है।
कौन है बी. के. एस. अयंगर?
बी. के. एस. अयंगर (B. K. S. Iyengar) वह शख्स हैं जिन्होंने योग का दुनिया से परिचय कराया। वह योग को दुनियाभर में व्याप्त करने वाले प्रसिद्ध भारतीय योग गुरु थे। अयंगर को "आधुनिक योग का जनक" माना जाता है। उनकी उपलब्धियों के कारण उन्हें वर्ष 2002 में 'पद्मभूषण' और 2014 में 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ योग गुरुओं में उनकी एक अहम जगह है। बी. के. एस. अयंगर ने 'अयंगर योग' की रचना की व इसे सम्पूर्ण विश्व में मशहूर बनाया।
किस राज्य के रहने वाले थे योग गुरु अयंगर?
योग गुरु बी. के. एस. अयंगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक राज्य के वेल्लोर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम बेल्लूर कृष्णामचार सुंदरराजा आयंगर है। उनके पिता कृष्णामचार एक स्कूल शिक्षक थे। गुरुजी में उनके पिता के सभी गुण थे।
ऐसा कहा जाता है कि जब अयंगर छोटे थे तब वह बहुत कमजोर थे। वह मलेरिया, टायफाइड और क्षय (टीबी) जैसे गंभीर रोगों से भी पीड़ित हुए थे। बहुत उपचार करने के बाद भी वह इस रोग से निजात नहीं पा सके थे तब डाक्टर ने उन्हें योग की सलाह दी।
अयंगर को 16 साल की उम्र में उनके गुरु टी. कृष्णामचार्य ने योग से परिचित कराया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और योग को ही अपना कर्म बना लिया। उन्होंने योग से अपनी सभी बीमारियों को दूर किया और एक दीर्घ आयु प्राप्त की। बी. के. एस. आयंगर के 'अष्टांग योग' की आज दुनिया भर में मान्यता है।
बी.के.एस. ने कई प्रसिद्ध हस्तियों को सिखाया योग
दार्शनिक और बुद्धिजीवी - एल्डस हक्सले, जे कृष्णमूर्ति
संगीतकार - मेनुहिन
खिलाड़ी - प्रो डेडधर, मार्टिन क्रो, सचिन तेंदुलकर, कुंबले, श्रीनाथ, द्रविड़, सहवाग, अमरनाथ, वेंगसरकर
फिल्म और थिएटर हस्तियां - ललिता पवार, अंतरा माली, नसीरुद्दीन शाह, मीरा नायर, मोहन अगाशे
वर्तमान राजनेता - मुरली मनोहर जोशी, येराना नायडू
बेल्जियम की महारानी एलिजाबेथ द क्वीन मदर
क्या है ‘अयंगर योग’ ?
बी.के.एस. अयंगर ने 'अयंगर योग' की रचना की थी। उन्होंने कई शोध के बाद इस योग के तरीकों का आविष्कार किया था। योग अभ्यास आठ पहलुओं (अष्टांग योग) पर आधारित होते हैं। लोकप्रियता के कारण इस योग का नाम अयंगर योग पड़ गया। उन्होंने योग की पहली शिक्षा अपने गुरु श्री तीरूमलाई कृष्णामाचार्य से ली थी जो उनके रिश्तेदार भी थे। शिक्षा के बाद उन्हें योग इतना प्रिय हो गया कि वे इस ज्ञान को अपने तक सीमित न रखकर सब में बांट देना चाहते थे। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने लंदन, स्विट्जरलैंड, पेरिस और कई देशों की यात्रा की न योग का प्रचार किया।
'अयंगर योग' के अभ्यास के लिए मुद्रा पर ध्यान देना बेहद जरूरी
'अयंगर योग' के आसन और प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए उसके मुद्रा/अवस्था पर ध्यान देना सबसे जरूरी होता है। योग गुरु बी.के.एस. आयंगर ने आसनों को सही तरह से करने के लिए कुछ सहायक चीजों मसलन ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी और लकड़ी की बनी चीजें आदि का आविष्कार किया था। योग को सही मुद्रा में करने के लिए व्यक्ति के शरीर का संरचनात्मक ढांचा सही रूप में होना जरूरी होता है। उनका मानना था कि अगर आसन को सही तरह से किया जाये तो शरीर और मन को नियंत्रण में रखा जा सकता है जिससे शरीर स्वस्थ तो रहता ही है साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता शरीर में बढ़ जाती है।
अयंगर योग में 200 योग आसन और 14 प्राणायम हैं। यह योग क्रम के अनुसार सरल से कठिन होते जाते हैं।
‘अयंगर योग’ दूसरे योग से कैसे है अलग?
आसन के जटिल तरीकों के कारण
दूसरे योग के तुलना में अयंगर योग को करने के लिए ज्यादा कुशलता की जरूरत होती है। इन आसनों को करने के लिए शरीर में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और तंदुरुस्ती की जरूरत होती है।
आसन की अवधि लंबी होने के कारण
दूसरे आसनों के तुलना में इन आसनों को देर तक करने पर ही शरीर को पूरी तरह से इससे लाभ मिल सकता है।
प्राणायाम की तुलना आसनों के महत्व के कारण
दूसरे योग में आसनों का अभ्यास शुरू करते ही व्यक्ति प्राणायाम भी करने लगते हैं लेकिन अयंगर योग में यह संभव नहीं है। जब तक व्यक्ति आसनों की पद्धतियों को अच्छी तरह से सीख न लें तब तक वह प्राणायम को नहीं कर सकता है क्योंकि प्राणायाम करने के लिए मन और सांसों पर नियंत्रण होने के साथ देर तक बैठने की भी जरूरत होती है।
सहायक चीजों के आविष्कार के कारण
योग को सही तरीके से करने के लिए गुरु जी ने कुछ सहायक चीजों जैसे ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी, लकड़ी की कुछ चीजों को बनाया था जो अयंगर योग को दूसरे योग से अलग करता है। अयंगर योग में सही तरह से आसनों को करने पर जोर दिया जाता है जिससे शरीर को हर अंग को इससे लाभ मिल सके।
आसनों का निर्दिष्ट क्रम होने के कारण
योग के अलग-अलग फार्म के आसनों का क्रम भी अलग-अलग ही होता है। हर आसन के क्रम का शरीर के अंग के साथ संबंध होता है इसलिए आसनों को निर्दिष्ट क्रम से ही करना जरूरी होता है, नहीं तो शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
योग गुरु अयंगर का मानना था कि परिवर्तन व्यक्ति में बदलाव लाने में मदद करता है।
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