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    UPPCL के पूर्व एमडी एपी मिश्रा की 2.85 करोड़ की संपत्ति जब्त, भ्रष्टाचार के आरोपों पर ED की बड़ी कार्रवाई

    Updated: Sat, 11 Jan 2025 07:45 PM (IST)

    भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) एपी मिश्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईड ...और पढ़ें

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    UPPCL के पूर्व एमडी एपी मिश्रा की 2.85 करोड़ की संपत्ति जब्त। (तस्वीर जागरण)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे उप्र पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) एपी मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। ईडी ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाए गए मिश्रा की 2.85 करोड़ रुपये की तीन संपत्तियां जब्त की हैं।

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    इनमें लखनऊ स्थित फ्लैट व दुकान के अलावा गोंडा स्थित कृषि भूमि शामिल है। ईडी मिश्रा के विरुद्ध बिजली कर्मियों के करोड़ों रुपये के भविष्य निधि घोटाले में भी जांच कर रहा है। उनके विरुद्ध विजिलेंस जांच भी हुई थी। ईडी ने एपी मिश्रा के विरुद्ध विजिलेंस में दर्ज मुकदमे को आधार बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी।

    एपी मिश्रा की आय 1.92 करोड़ रुपये थी

    जांच के लिए निर्धारित अवधि में एपी मिश्रा की आय 1.92 करोड़ रुपये थी, जबकि इस अवधि में उन्होंने भरण-पोषण व संपत्तियां जुटाने में 5.08 करोड़ रुपये खर्च किए थे। आय से 3.15 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए। वह आय से 163.23 प्रतिशत अधिक रकम खर्च करने को लेकर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके थे।

    ईडी की जांच में सामने आया कि मिश्रा ने काली कमाई को परिवार के सदस्यों के बैंक खातों के माध्यम से संपत्तियों में खपाया था। अपने व परिवार के सदस्यों के नाम से संपत्तियां खरीदी थीं। ईडी उनकी अन्य संपत्तियों के बारे में भी जानकारी जुटा रहा है।

    दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय ने बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। पीएफ घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच में काले धन को सफेद किए जाने व फर्जी ब्रोकर फर्मों के जरिए करोड़ों रुपये के कमीशन को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए जाने के तथ्य सामने आए थे।

    इस पर ईओडब्ल्यू ने ईडी से मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच किए जाने की सिफारिश की थी। पीएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू ने मिश्रा समेत अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया था। बिजली कर्मियों के पीएफ की रकम को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में निवेश कराकर करोड़ों रुपये की कमीशनखोरी की गई थी।

    वर्ष 2019 में भाजपा सरकार के दौरान यह मामला सामने आने पर लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में घोटाले की एफआइआर दर्ज कराई गई थी। शासन ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू की सौंप दी थी।

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