Lucknow: पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना का छलका दर्द, कहा-हमारी जिंदगी में कांग्रेस जिंदा हो जाए तो बहुत अच्छा
पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई की आत्मकथा हिंदुस्तानी सियासत व मेरी जिंदगी का सोमवार को लखनऊ में विमोचन कियाा गया। मोहसिना ने बताया कि संघर्ष करके खरीदा था प्रदेश कांग्रेस का खूबसूरत दफ्तर अब पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। देश-प्रदेश में लंबे समय तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी सूबे में 'जिंदा' होने के लिए छटपटा रही है। प्रदेश कांग्रेस का दफ्तर जितना खूबसूरत है पार्टी का प्रदर्शन उतना ही खराब। कांग्रेस की तीसरी पीढ़ी के साथ कदमताल कर रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई ने आत्मकथा के पन्ने पलटे तो पार्टी की बेचारगी की टीस उनकी जुबां पर आ गई ''हमारी जिंदगी में कांग्रेस जिंदा हो जाए तो बहुत अच्छा''।
‘माई लाइफ इन इंडियन पालिटिक्स’ का नया कलेवर
सोमवार को होटल लेबुआ में मोहसिना की आत्मकथा ‘माई लाइफ इन इंडियन पालिटिक्स’ का उर्दू संस्करण ''हिंदुस्तानी सियासत व मेरी जिंदगी'' नए कलेवर में लोगों तक पहुंचा। मोहसिना बोलीं, इंदिरा को लोग सख्त समझते रहे हैं लेकिन, वो बेहद भावुक व मिलनसार महिला थी। किताब में उनसे जुड़ी छोटी-छोटी वे बातें लिखा है ताकि उनकी इंसानियत भरी तस्वीर सामने आए। मोहसिना ने कहा कि कांग्रेस न कमजोर थी और न होगी, उसकी बुनियाद इतनी गहरी है कि उसका वजूद कभी खत्म नहीं हो सकता।
ईडी, सीबीआइ के डर से निकलना होगा
राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि मोहसिना ने एक चिराग पकड़ कर राजनीति की और वो थपेड़ों में भी नहीं बुझा। लोगों को ईडी, सीबीआइ के डर से निकलना होगा, तभी देश का भला होगा। पश्चिम बंगाल में पुल टूटने पर यदि सरकार जिम्मेदार रही तो गुजरात में अलग लाेग जवाबदेह कैसे होंगे। वरिष्ठ पत्रकार रसीद किदवई, के विक्रम राव, शरद प्रधान, प्रदीप कपूर ने भी कई संस्मरण सुनाए।
इंदिरा बोलीं, ... तो दफ्तर के लिए महल खरीद लो
पूर्व मंत्री किदवई ने यूपी कांग्रेस का दफ्तर खरीदने का किस्सा सुनाया। कैसरबाग के दफ्तर में दम घुटता है तब इंदिरा ने कहा था कि दफ्तर के लिए महल खरीद लो। बाराबंकी के ही शुक्ल परिवार की (मौजूदा कांग्रेस कार्यालय) कोठी नीलाम हुई थी, तब कांग्रेसजनों से चंदा लेकर खूबसूरत भवन को खरीदा। मोहसिना के जीवन के वे स्याह पन्ने भी सामने आए जिसमें उन्हें असहज होना पड़ा। इसमें प्लेन हाईजैक मामले में उनसे पूछताछ हुई। उन्होंने कहा कि यदि वे राजनीति में न आती तो लेखक होती।
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