विनय तिवारी से 60 से अधिक बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ, 754 करोड़ घोटाला के मामले में हैं गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी से 60 से अधिक बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ की। ईडी ने तिवारी के लखनऊ गोरखपुर मुंबई और नोएडा स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर इन संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए थे। इसके साथ ही तिवारी और उनकी कंपनी गंगोत्री एंटरप्राइजेस के प्रबंध निदेशक अजीत पांडेय को गिरफ्तार किया गया था।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी से 60 से अधिक बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ की है। ईडी ने बीते दिनों उनके लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई और नोएडा के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए थे।
साथ ही उन्हें व उनके स्वामित्व वाली कंपनी गंगोत्री एंटरप्राइजेस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अजीत पांडेय को गिरफ्तार किया था।
ईडी ने बीते दिनों किया था गिरफ्तार
ईडी की टीम ने बुधवार को पूर्व विधायक से बैंकों के 754.24 करोड़ रुपये हड़पने और इस राशि से बेनामी संपत्तियां खरीदने के मामले में पूछताछ की। ईडी की टीमों को इन संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बीते दिनों की गई छापेमारी में मिले थे। सूत्रों के अनुसार, ईडी को जिन संपत्तियों दस्तावेज मिले हैं।
उनमें से ज्यादातर संपत्तियां लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, मुंबई और दिल्ली में हैं। इन संपत्तियों को पूर्व विधायक ने अपने करीबियों के नाम पर बैंकों से लिए गए ऋण की रकम से खरीदा था। दूसरी तरफ अजीत पांडेय ने पूछताछ में बताया कि बैंकों से ली गई रकम को विनय शंकर तिवारी के करीबियों की कंपनियों में डायवर्ट किया गया था।
इसी रकम से बेनामी संपत्तियां खरीदी गई थीं। इनमें से कुछ संपत्तियों को बेच भी दिया गया है। ईडी इन सभी संपत्तियों की जानकारी जुटा रहा है। इन संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। अभी तक पूर्व विधायक की करीब 103 करोड़ रुपये की संपत्तियों को ही जब्त किया जा चुका है।
इस मामले में फंसे हैं पूर्व विधायक
बैंकों ने सीबीआई को विनय शंकर तिवारी व गंगोत्री एंटरप्राइजेस के निदेशकों, गारंटरों व प्रमोटरों के विरुद्ध 1129.44 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की शिकायत की थी। सीबीआई के बाद इसी के आधार पर ईडी ने केस दर्ज जांच शुरू की थी।
गंगोत्री एंटरप्राइजेस लिमिटेड ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये का क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था। कंपनी के निदेशकों व प्रमोटरों तथा गारंटरों ने इस राशि को अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया था। इसके चलते बैंकों को रकम नहीं मिली और करीब 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
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