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    जमीन घोटाले में फंसी मुलायम सिंह यादव की समधन, लखनऊ में संपत्ति अधिकारी रहते हुए की थी गड़बड़ी

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 08:55 AM (IST)

    लखनऊ विकास प्राधिकरण की प्रियदर्शनी योजना में भूखंड आवंटन में अनियमितता के मामले में मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। विजिलेंस जांच में अंबी बिष्ट तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह उप सचिव देवेन्द्र सिंह राठौर समेत कई कर्मचारी दोषी पाए गए। इन सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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    मुलायम सिंह की समधन अंबी बिष्ट सहित पांच के विरुद्ध मुकदमा

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) की प्रियदर्शनी योजना के तहत भूखंड आवंटन में अनियमितता के मामले में सपा संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट समेत अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है।

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    अंबी बिष्ट लविप्रा की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी हैं। वह मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की सास हैं। प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव वर्तमान में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं।

    विजिलेंस ने मामले में खुली जांच में अंबी बिष्ट के अलावा तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, उप सचिव देवेन्द्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणे व अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता के दोषी पाए जाने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

    यह है पूरा मामला

    शासन ने लखनऊ में प्रियदर्शनी/जानकीपुरम योजना के भूखंडों के आवंटन में परिवर्तन कर उनके पंजीकरण में अनियमितताएं बरते जाने की शिकायत पर वर्ष 2016 में विजिलेंस की खुली जांच का निर्देश दिया था।

    लविप्रा के तत्कालीन लिपिक स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा की भूमिका को लेकर खुली जांच शुरू की गई थी। जांच में अनयमितता में लविप्रा के अन्य आरोपित कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आए। विधि विज्ञान प्रयोगशाला से तत्कालीन लविप्रा कर्मियों के हस्ताक्षरों का मिलान भी कराया गया था, जिसमें पुष्टि होने पर विजिलेंस के साथ गड़बड़ी के पुख्ता साक्ष्य लगे।

    जांच में सामने आया कि तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से भूखंड कब्जा पत्र जारी किए गए व नोटिंग पर भी हस्ताक्षर पाए गए। तत्कालीन उपसचिव देवेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से आवंटियों को आवंटन पत्र जारी किए गए व नोटिंग पर हस्ताक्षर पाए गए।

    तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट के निबंधन प्रस्ताव व रजिस्ट्री विक्रय विलेख व नोटिंग पर हस्ताक्षर पाए गए। तत्कालीन वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट व उनके सहायक तत्कालीन अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता ने स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ साजिश में शामिल होकर फर्जी अभिलेखों के आधार पर भूखंडों की गणना कर मूल्य निर्धारित किया गया। योजना के भूखंडों के आवंटन में परिवर्तन कर उसके पंजीकरण मेें अनियमितता में सभी आरोपितों की भूमिका पाई गई।

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