Fake Voter ID Card: फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने के मामले की जांच UPSTF को, मामला बेहद गंभीर
Fake Voter ID Card सहारनपुर में चुनाव आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ कर फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने की जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) करेगी। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ के इस मामले को बेहद गंभीर माना जा रहा है।

लखनऊ, जेएनएन। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में सेंधमारी के बाद फर्जी वोटर कार्ड बनाने के प्रकरण पर योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद गंभीर है। प्रदेश के सहारनपुर के इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला व डीएम सहारनपुर अखिलेश सिंह के पत्र पर राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश एसटीएफ को दिए हैं।
सहारनपुर में चुनाव आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ कर फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने की जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) करेगी। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में चुनाव होने हैं और उससे पहले निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ के इस मामले को बेहद गंभीर माना जा रहा है।
इसके तार कई राज्यों से जुड़े होने के कारण सहारनपुर के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने इसकी जांच किसी विशेषज्ञ एजेंसी से कराने के लिए गोपनीय पत्र चुनाव आयोग को लिखा था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी शुक्रवार को इस पत्र को गृह विभाग भेजकर विशेषज्ञ एजेंसी से जांच कराने के लिए कहा था। पत्र मिलने के कुछ घंटे बाद ही राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी। इसकी पुष्टि अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने की है।
सहारनपुर की इस घटना के बाद प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इस तरह फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाए जाने का गैंग सक्रिय होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि सहारनपुर मामले की जांच हो रही है। इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच में ही यह साफ हो सकेगा कि इन लोगों ने किस तरह से चुनाव आयोग के डाटा बेस तक अपनी पहुंच बनाई है।
सहारनपुर में पकड़े गए विपुल सैनी ने 10 हजार से अधिक मतदाता पहचान पत्र बनाए हैं। इसने वेबसाइट में सेंधमारी कर वह पीडीएफ प्राप्त कर ली जिससे मतदाता पहचान पत्र प्रिंट होते हैं। चुनाव आयोग यह पीडीएफ अपने वेंडर को ही मतदाता पहचान पत्र प्रिंट करने के लिए देता है। आयोग यह भी देख रहा है कि इस मामले में उसके यहां के किसी कर्मचारी व अधिकारी की मिलीभगत तो नहीं है। साथ ही मतदाता पहचान पत्र बनाने वाले ईआरओ-नेट साफ्टवेयर में यदि कोई कमी है तो उसे भी जल्द दूर किया जाएगा।
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