यूपी में हर दिन बन रही 11 किलोमीटर सड़क, 8 साल में बना इतना लंबा सड़क नेटवर्क कि चौंक जाएंगे आप
उत्तर प्रदेश में नागरिकों को बेहतर यातायात सुविधा देने के लिए प्रतिदिन 11 किलोमीटर सड़कों का निर्माण और 9 किलोमीटर चौड़ीकरण किया जा रहा है। 2017 से अब तक 32074 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण और 25000 किलोमीटर का सुदृढ़ीकरण हुआ है। सरकार ने 46 नए राष्ट्रीय मार्ग 70 राज्य मार्ग और 57 प्रमुख जिला मार्ग विकसित किए हैं जिससे प्रदेश का सड़क नेटवर्क देश में प्रमुख बन गया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नागरिकों को सुगम यातायात व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 11 किलोमीटर सड़कों का निर्माण व नौ किलोमीटर सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। वर्ष 2017 से लेकर अभी तक आठ वर्षों में 32,074 किलोमीटर ग्रामीण मार्गों का नवनिर्माण किया गया है। जबकि 25,000 किलोमीटर सड़कों का चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आठ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों की शहरी क्षेत्रों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी बनाने के लिए हर वर्ष औसतन 4,076 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण कराया है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के 3,184 किलोमीटर मार्गों का चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों तक यातायात सुगम हुआ और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।
46 नए राष्ट्रीय मार्ग निर्माण
सरकार ने आठ वर्षों में प्रदेश में 4,11,5 किलोमीटर के 46 नए राष्ट्रीय मार्ग व 5,604 किलोमीटर के 70 नए राज्य मार्गों का भी निर्माण कराया है। उत्तर प्रदेश में 2,831 किलोमीटर के 57 नए प्रमुख जिला मार्ग घोषित किए गए हैं। इसके चलते उत्तर प्रदेश का सड़क नेटवर्क देश के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क में शामिल हो गया है।
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वहीं, आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे वाले राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है। सड़क निर्माण के मामले में उत्तर प्रदेश अब देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। सीमावर्ती राज्यों के साथ प्रदेश की बेहतर कनेक्टिविटी बनाई गई है। इससे संबंधित जिलों की आर्थिक प्रगति भी हो रही है। इसके साथ ही कम बसावट वाले तमाम क्षेत्रों को भी सड़क नेटवर्क के साथ जोड़ा गया है।
भ्रष्टाचार के तारकोल से लेप दी गईं सड़कें
वहीं, गोंडा में लोक निर्माण विभाग में टेंडर मैनेज करने के साथ अब तारकोल में भी भ्रष्टाचार चिपका मिला है। देवीपाटन मंडल में गलत तरीके से तारकोल की खरीद हुई, जिससे करोड़ों से बनी सड़कें समय से पहले ही उजड़ गईं हैं। इस मामले में बलरामपुर के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता समेत सात अभियंताओं पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
देवीपाटन मंडल में टेंडर मैनेज करने में मुख्य अभियंता समेत तीन अभियंताओं के हटने के बाद अब जिलों में भी सफाई अभियान शुरू हो गया है। शासन ने सबसे पहले दागियों पर शिकंजा कसा है, जिसकी जद में बलरामपुर प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता शैलेंद्र कुमार, सहायक अभियंता आलोक कुमार दुबे, प्रदीपकुमार समेत सात अभियंता आए हैं।
बताया जा रहा है कि यहां सड़कों के लेपन में लगे तारकोल की खरीद गलत फर्म से कर ली गई। तारकोल खराब होने के चलते सड़कों की गिट्टियां माह भर में ही उखड़ गईं। उनके पत्थर बाहर निकलने लगे। तारकोल की गुणवत्ता पर सवाल उठे तो जांच हुई, जिसमें खरा नहीं उतरा।
पता चला कि जिस फर्म से तारकोल खरीदा गया था, उस फर्म से खरीद ही नहीं की जानी थी। इसके बाद जांच शुरू हुई तो मिलीभगत व अनियमितता की कलई खुलती चली गई। हालांकि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता शैलेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि वह छह माह पहले आए हैं। तारकोल खरीद में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
कब से है तैनाती और कितनी बची सेवा?
अवधि समेत अन्य रिपोर्ट तलब बलरामपुर के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता शैलेंद कुमार समेत छह अभियंताओं के बारे में शासन ने रिपोर्ट तलब की है। इनकी जिले कब से तैनाती है और नौकरी में कितनी सेवा अवधि बची है। वैसे बलरामपुर का प्रांतीय खंड टेंडर मैनेजमेंट को लेकर भी चर्चा में रहा,जो गोंडा-बलरामपुर के अधीक्षण अभियंता को ले बीता।
सूत्र के मुताबिक श्रावस्ती में टेंडर मैनेज होने की शिकायत जब सीएम मिली थी तो वे पहले मुख्य अभियंता अवधेश चौरसिया व बहराइच-श्रावस्ती के अधीक्षण अभियंता भगवानदास को ही हटाना चाह रहे थे,लेकिन बलरामपुर के प्रांतीय खंड से भी ऐसा ही मामला पहुंचने के बाद गोंडा-बलरामुपर के अधीक्षण लाल जी चपेट में आ गए।
बलरामपुर के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता समेत सात अभियंताओं को तारकोल खरीद में गड़बड़ी के चलते उन्हें आरोप पत्र दिया जा रहा है,जिसके लिए उनसे जवाब मांगा गया है। -अखिलेश दिवाकर, मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग
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