UP News; बिजली कंपनियों को घाटा नहीं, अतिरिक्त है 33 हजार करोड़ रुपये, उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित 45% तक की बिजली दरों में वृद्धि पर सवाल उठाए हैं। परिषद का कहना है कि कंपनियों ने 24022 करोड़ रुपये का काल्पनिक घाटा दिखाकर दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है जबकि उपभोक्ताओं का उन पर पहले से ही 33122 करोड़ रुपये बकाया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। घरेलू बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का जो प्रस्ताव बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को सौंपा है, उसमें कई झोल हैं।
उपभोक्ता परिषद का दावा है कि इस बार भी बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पैसा अधिक निकल रहा है।
वर्तमान में ही उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये बकाया है। इन परिस्थितियों में बिजली दरों में बढ़ोतरी का कोई औचित्य नहीं बनता है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के तहत बिजली कंपनियों द्वारा पेश किए गए सभी आंकड़ों का मिलान किया।
इसमें साफ हुआ कि कंपनियों ने 2025-26 में 19,644 करोड़ का राजस्व अंतर (गैप) और 2023-24 में 4,378 करोड़ का गैप दिखाकर कुल 24,022 करोड़ का घाटा निकालते हुए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था।
प्रस्ताव के मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं पर 45 प्रतिशत और अन्य श्रेणियों में 28 प्रतिशत तक बोझ डालने की तैयारी है। परिषद ने दावा किया कि जब सभी आंकड़ों का गहन अध्ययन किया गया तो यह साफ हो गया कि बिजली कंपनियों का यह गैप काल्पनिक है। बिजली कंपनियां उपभोक्ता परिषद द्वारा दर्ज कराई गई 90 फीसदी आपत्तियों का जवाब ही नहीं दे पाईं।
आयोग के समक्ष केवल गोलमोल औपचारिकताएं पूरी की गईं। विद्युत नियामक आयोग को इसे गंभीरता से लेते हुए बिजली कंपनियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि आयोग द्वारा नई बिजली दरों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही निर्णय आने की संभावना है। दावा किया कि कंपनियों की ओर से पेश किया गया घाटा पूरी तरह से हवा-हवाई साबित होगा और उपभोक्ताओं पर बोझ डालने की कोशिश नाकाम होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।