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    योगी कैबिनेट का फैसला- प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को मिलेगा सीधा फायदा, सरकार करवाएगी ये काम

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 12:10 PM (IST)

    जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) न्यास की 70% धनराशि खनन प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल पर्यावरण स्वास्थ्य शिक्षा और कौशल विकास पर खर्च होगी। कैबिनेट ने डीएमएफ न्यास तृतीय संशोधन नियमावली 2025 को मंजूरी दी जिससे खनन क्षेत्रों का विकास होगा। शेष 30% निधि भौतिक संरचना और सिंचाई विकास में उपयोग होगी। ई-निविदा अनुबंध को भी एक साल आगे बढ़ाया गया।

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    खनन प्रभावित क्षेत्रों में खर्च होगी डीएमएफ की 70 प्रतिशत राशि

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) न्यास की 70 प्रतिशत धनराशि अब खनन गतिविधियों से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में खर्च की जाएगी। इसे पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में व्यय किया जाएगा।

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    शेष 30 प्रतिशत निधि का उपयोग भौतिक संरचना विकास, सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के विकास में किया जाएगा। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में डीएमएफ न्यास तृतीय संशोधन नियमावली 2025 को स्वीकृति दे दी गई है।

    खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास आदि कार्यों के लिए डीएमएफ न्यास नियमावली बनाई गई है। इसमें पहले यह स्पष्ट नहीं था कि धनराशि को किन क्षेत्रों में किस तरह खर्च किया जाएगा। इसके लिए डीएमएफ न्यास तृतीय संशोधन नियमावली 2025 को बैठक में रखा गया था।

    वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नियमावली 2025 को अनुमोदन दे दिया गया है। इस संशोधन से राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। संशोधन के तहत जिला खनिज फाउंडेशन निधि (डीएमएफ) का 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा।

    उच्च शिक्षा के सरकारी व सहायताप्राप्त संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को वित्तीय सहायता, आवास, कृषि, पशुपालन, शिक्षा एवं कौशल विकास आदि को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार बढ़ेगा।

    यह कदम खनन प्रभावित क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करेगा और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाएगा। शेष 30 प्रतिशत तक की निधि का उपयोग भौतिक संरचना, सिंचाई, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के विकास आदि में व्यय की जा सकेगी।

    निधि के उपयोग में खनन से संबंधित बीमारी और रोगों की देखभाल व पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं आकांक्षी जिलों व ब्लाकों को भी वरीयता मिलेगी।

    ई-निविदा को एमएसटीसी के साथ एक साल आगे बढ़ा अनुबंध

    उप्र खनन नीति 2017 के अनुसार खनन पट्टों को ई-निविदा सह ई-नीलामी प्रणाली के माध्यम से स्वीकृत करने के लिए अगस्त 2017 से एमएसटीसी लिमिटेड को सेवाप्रदाता नामित किया गया है। एमएसटीसी के साथ अनुबंध की अवधि नदी तल स्थित उपखनिजों के संबंध में 10 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी,

    वहीं स्वस्थाने चट्टान किस्म के उपखनिजों के लिए हुआ अनुबंध 11 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। कैबिनेट ने अब अनुबंध को पूर्व अनुबंध की समाप्ति की तारीख से एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।