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    राजनीतिक स्थिरता से दंगा व माफिया मुक्त बना यूपी: योगी, बोले- बार-बार चुनाव से पनपता है भ्रष्टाचार

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 06:00 AM (IST)

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के विजन को साकार करने की जरूरत बताई है। उनका कहना है कि बार-बार चुनाव जनता पर बोझ है और इससे राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार बढ़ता है जो विकास में बाधक है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव से विकास कार्यों में मदद मिलेगी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और देश को संप्रभुता संपन्न और विकसित बनाने में सहभागी बनाया जा सकता है।

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    वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सूचना विभाग

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के विजन को साकार करने की जरूरत है। बार-बार चुनाव जनता पर बोझ जैसा है। यह राजनीतिक अस्थिरता और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के साथ विकास में बाधक है। 

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बार चुनाव की अधिसूचना जारी होती है तो विकास कार्य तीन माह तक बाधित हो जाते हैं। 2017 से पहले प्रदेश के जिलों में समानांतर सरकारें थीं। बार-बार चुनाव से माफिया राज पनपा। राजनीतिक स्थिरता आने से आज उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त और माफिया मुक्त बना है।

    बार-बार चुनाव से अर्थव्यवस्था प्रभावित

    सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय पर विभिन्न सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार चुनाव अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। लोकतंत्र विरोधी तत्व इसका लाभ उठाते हैं। राजनीतिक अस्थिरता में नीतिगत फैसलों का अभाव रहता है। 

    उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता कभी भी देश को संप्रभुता संपन्न और विकसित देश की परिकल्पना को साकार करने में सहभागी नहीं बन सकती है। वहीं उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्थिरता से विकास होता है, उत्तर प्रदेश इसका उदाहरण है। आज यूपी देश की अग्रणी अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। 

    2014 से पहले देश में विश्वास का संकट था। राजनीतिक अस्थिरता का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था। आज दुनिया के सामने भारत और देश के सामने उत्तर प्रदेश की पहचान बनी है। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो उत्तर प्रदेश देश की नंबर दो अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। 

    2019 में गुजरात में सरदार सरोवर पर देश की अखंडता के प्रतीक सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक राष्ट्र-एक चुनाव की बात कही थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस पर बल दिया था। वाजपेयी ने राजनीतिक स्थिरता को सुशासन, सुरक्षा और विकास की पहली शर्त माना था।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए। कांग्रेस की अंदरूनी टूट के बाद यह प्रथा समाप्त हो गई। कांग्रेस अस्थिर हुई और देश को अस्थिर कर दिया। 

    सरकारें भंग की गईं, राष्ट्रपति शासन लगा और राजनीतिक अस्थिरता ने देश को भटकाया। 1980 के दशक में भी एक राष्ट्र-एक चुनाव का मुद्दा उठा था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति की सिफारिशों और जनजागरण के जरिए एक राष्ट्र-एक चुनाव 2034 तक लागू करने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। 

    उन्होंने कहा कि विधानसभाओं के कार्यकाल को समायोजित कर एक साथ चुनाव हो। ऐसा होने पर 3.5 से 4.5 लाख करोड़ रुपये के सालाना खर्च को विकास कार्यों पर लगाया जा सकेगा।

    सभी लोग इस अभियान से जुड़ें

    उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव का मुद्दा मूर्तरूप ले, इसके लिए सभी लोग इस अभियान से जुड़ें। बार-बार चुनाव में खर्च होने वाली बड़ी धनराशि का उपयोग विकास के लिए किया जा सकेगा। एक राष्ट्र-एक चुनाव का मुद्दा देश के लिए आवश्यक है। खासतौर पर उनके लिए जिनके लिए देश सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव का जो विरोध करे, उसे जवाब दें। जनमत इस मुद्दे से जुड़े।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने की। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए एक राष्ट्र-एक चुनाव जरूरी है। भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए यह जरूरी है। कांग्रेस ने 1972 का चुनाव 1971 में कराकर संविधान को विकृत किया था। चुनाव में भ्रष्टाचार हुआ। बाद में आपातकाल लगा। इंदिरा गांधी सत्ता से वंचित हुईं। एक राष्ट्र-एक चुनाव 1984 में भाजपा के चुनावी एजेंडे में था। विकसित भारत के लिए एक चुनाव जरूरी है। 

    उन्होंने बताया कि 2019 के चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये तो 2024 के आमचुनाव में 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। कार्यक्रम संयोजक विधान परिष् सदस्य अनूप गुप्ता, एनजीओ प्रकोष्ठ के संदीप शाही, एमएलसी अवनीश कुमार, पूर्व मंत्री डा. महेंद्र सिंह, पूर्व महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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