लोकप्रियता में अखिलेश ने सपा सुप्रीमो मुलायम को पीछे छोड़ा
अखिलेश तो समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोटरों की सीमा भी लांघते दिख रहे हैं। मुलायम सिंह से तुलना की बात पर भी 55 साल से ज्यादा उम्र वाले 70 फीसद लोग अखिलेश को पसंद करते हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। देश में समाजवादी विचारधारा के अग्रणी नेताओं में शुमार मुलायम सिंह यादव ने भले ही यह मुकाम पाने को अपनी उम्र को खपा दिया, लेकिन लोकप्रियता में उनको अखिलेश यादव ने पीछे छोड़ दिया है। मुलायम सिंह यादव के मुकाबले एक चौथाई भी राजनीतिक अनुभव न रखने वाले अखिलेश यादव लोकप्रियता के मामले में अब समाजवादी पार्टी के मुखिया के काफी आगे निकल गए हैं।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में हाल में ही मचे घमासान के कारण भले ही पार्टी और परिवार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कद थोड़ा छोटा हुआ हो, लेकिन आमजन के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।
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सी-वोटर के नए सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के पारिवारिक झगड़े के बीच अखिलेश यादव ने लोकप्रियता के मामले में अपने पिता एवं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और चाचा एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को मीलों पीछे छोड़ दिया है।
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सर्वे में पता चला है किपरिवार में झगड़े के दौरान अखिलेश यादव की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। मुलायम, अखिलेश और शिवपाल यादव को लेकर सी-वोटर ने एक सर्वे सितंबर में और दूसरा अक्टूबर के मध्य में किया। सर्वे के नतीजों के मुताबिक, चाचा शिवपाल के मुकाबले अखिलेश को पसंद करने वाले लोगों की संख्या सितंबर में 77.1 प्रतिशत थी जो अक्टूबर में बढ़कर 83.1 प्रतिशत हो गई।
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इससे साबित होता है कि अखिलेश यादव को चाहने वालों की संख्या छह फीसदी बढ़ गई। इसी तरह, पिता मुलायम की तुलना में भी अखिलेश यादव अधिक लोकप्रिय नजर आते हैं। इन दोनों की लोकप्रियता की तुलना वाले सवाल में भी अखिलेश को इस बार 76 जबकि पिछले महीने 67 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। मुलायम के प्रति पिछली दफा 19, जबकि इस दफा 15 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।
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अखिलेश यादव तो अब समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोटरों की सीमा भी लांघते दिख रहे हैं। मुलायम सिंह यादव से तुलना की बात रखे जाने पर भी 55 साल से ज्यादा उम्र वाले 70 फीसद लोग अखिलेश को पसंद करते हैं। सर्वेक्षण जिन लोगों के बीच किया गया, उनमें से 68 फीसद लोगों का मानना है कि अखिलेश पार्टी को गुंडा छवि से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके इतर 63.2 प्रतिशत लोगों का यह भी मानना है कि अखिलेश यादव को उन लोगों को पार्टी में शामिल नहीं करने देना चाहिए जो आपराधिक छवि के हैं।
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इन सभी के बीच राजनीतिक पंडितों की नजर प्रदेश में तीन नवंबर से शुरू होने वाली अखिलेश की रथयात्रा पर है। दोनों खेमों की खींचतान के बीच अखिलेश की रथयात्रा के कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है और अब रथयात्रा एक दिन की ही होगी। इसके तहत अखिलेश यादव लखनऊ से निकलने के बाद उन्नाव के बांगरमऊ तक जाने के बाद फिर लखनऊ लौट आएंगे। इसकी संभावना बढ़ गई है कि अखिलेश यादव पांच तारीख को लखनऊ में पार्टी के रजत जयंती समारोह में शामिल होंगे।