Dev Diwali 2022: चंद्र ग्रहण के चलते एक दिन पहले मनेगी देव दीपावली, पढ़ें ग्रहण से जुड़ी जरूरी बातें
Dev Diwali 2022 ग्रहण के बाद एक महीने तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद आठ नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। प्राकृतिक आपदाएं और मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है।

Dev Diwali 2022: लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। आठ नवंबर को चंद्र ग्रहण के चलते देव दीपावली पर होने वाली गोमती आरती एक दिन पहले सात नवंबर को होगी। मनकामेश्वर उपवन मेंं होने वाली आरती के दौरान एक लाख दीपक जलाए जाएंगे। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि आठ को चंद्र ग्रहण के चलते सूतक काल लग जाएगा जिससे पूर्णिमा आरती एक दिन पहले होगी। कुड़िया घाट व झूलेलाल घाट पर भी आरती होगी। दीपोत्सव के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण के बाद आठ नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा।
सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद आठ नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पूर्णिमा की रात को सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही रेखा में होते हैं। पृथ्वी के बीच में रहने से इसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। भारत के कई हिस्सों में नजर आएगा। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि भारत में खंडग्रास चंद्र ग्रहण शाम करीब 5:09 बजे से शुरू होगा और शाम 6.19 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण मेष राशि और भरणी नक्षत्र में होगा। भारत के अलावा यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में नजर आएगा।
आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि ग्रहण के बाद एक महीने तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। प्राकृतिक आपदाएं ,मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है। देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। तेज हवा, आंधी, भूकंप होने की आशंका बन रही है. आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैंं। प्रकाश के पर्व पर ग्रहण विश्व में ऊर्जा संकट उत्पन्न कर सकता है। भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण पूर्वी भाग में ही दिखाई देगा। अधिकांश क्षेत्रों से यह आंशिक रूप में देखने को मिलेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से नौ घंटे पहले शुरू हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल अशुभ माना जाता है। सूतक काल शुरू होने के बाद पूजा या अन्य धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि बाहर की यात्रा करने से बचना चाहिए। ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण लगने के कुछ समय पहले खाद्य पदार्थों में कुश या तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए।. चंद्र ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं के बीज मंत्र, भगवान विष्णु, गायत्री मंत्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करे इससे ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है।
ग्रहण काल में गर्भवतियां कैंची, छुरी नुकीली वस्तुएं प्रयोग न करें। अपने पास कुश और गंगा जल रखें और मंत्रों का जाप मन में करें । भगवान की प्रतिमा काे स्पर्श न करें। चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करें और उसके बाद घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें। ग्रहण पांच राशियों मिथुन, सिंह , वृश्चिक, मकर और कुंभ के लिए लाभकारी साबित होगा। चार राशियों मेष, कर्क, तुला , मीन के लिए हानिकारक होगा। इसके आलावा वृष , कन्या , धनु राशियों को ग्रहण के मध्यम फल मिलेंगे।
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